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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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दीनदयाल शर्मा

दीनदयाल शर्मा द्वारा रचित कविता
1.संकळ्प

दीनदयाल शर्मा द्वारा रचित नाटक

1.शंखेसर रा सींग
2.बिगड़ग्यौ बबलू
3.बात रा दाम
4.बावली बस्ती
5.तूं कांई बणसी

दीनदयाल शर्मा द्वारा रचित कहाणिया ( टाबर टोली)

1.कालू कागलो अर सिमली कमेड़ी
2.घमण्डण मछली
3.हरखू री चतराई
4.स्यांती
5.बालपने री बाता

संकळ्प
संदर्भ- कानिया मानिया कुर्र, हनुमानगढ, पेज-1, अंक-4, जुलाई-सितम्बर 2005
प्रस्तुति- दीनदयाल शर्मा, हनुमानगढ जं.
छोरी हूं तो फेर कां है
संकळ्प म्हारौ पक्कौ है
ऊंचाइयां णै पार लांघस्यूं
भलाई रास्तौ कच्चौ है।
पीटी उषा, किरण, कल्पना
वसुंधरा, विनीता नारी है
मल्लेश्वरी, सानिया, इन्दिरा
शक्तिशाली सारी है।
महादेवी, सुभद्रा, दुर्गा
प्रेरणास्त्रोत है म्हारी, अर
आगै बढ'र ई सांस लेवणौ
पूरी है तैयारी।

1. शंखेसर रा सींग नाटक रा भागीदार--
शेर : बघेलसिंघ : राजा
हाथी : जम्बू : सेनापति
लूंकड़ी : झमकू : परजा
खरगोश : चुन्नु : परजा
गधौ : शंखेसर : नूंवौ जिनावर

(नेपथ्यूस्यूं)
एकर री बात है। एक जंगल मांय सगला जिनावर बड़ै परेम स्यूं रैता एक दिन बी जंगल मांयएक नूंवौं जिनावर आयौ। बण जंगल मांय आंवतांई इत्तौ घमसाण मचायौ कै जंगल रा घणकरा रा जिनावर बीं स्यूं दुःखी होग्या।

बौ नूवौ जिनावर रोजिना कदी कीं नै काटल्यै, कदी की रै सींग मारद्यै अर कदी कीं जिनावर रै इत्ती जोर स्यूं दुलत्ती मारै कै सामलौ च्यारूं खाना चित हो ज्यावै।
एक दिन बी नूवै जिनावर स्यूं दुःखी होयोड़ा जंगल रा घणकरा सा जिनावर भेला होय अर बिच्यार करण लाग्या।

(पैलोदरसाव)

झमकू : (गलौ खंखारर) चुन्नू भाया, आपां नै बौ नूंवौ जिनावर कित्तौ सेकै !
चुन्नु : (माथौ कुचरतौ-कुचरतौ) हां झमकू बाई, तो अब कांईं सोचै तूं ?
झमकू : म्हूं तो आ सोचूं कै आपानैं आपणै राजा बघेलसिं जी स्यूं बीरी सिकायत करणी चइजै।
चुन्नु : (थोडी नीचै सरक्योड़ी पैट नै ऊंची करतां थकां) झमकू बाई, मेरै हिसाब स्यूं राजा जी नै इत्ती चटकै सिकायत करणी ठीक कोनीं।
झमकू : तो कींयां करां चुन्नु भायां ? अब तूई बता !
चुन्नु : झमकू बाई, ईयां छोटी-छोटी बातां माथै आपांनै राजाजी स्यूं सिकायत नीं करणी चइजै।
झमकू : तो फेर ?
चुन्नु : इण सिमस्या नै तो आपां नै आपस मांय रल-मिलर सुलझा लेणी चइजै।
झमकू : तूं बात तो ठीक कैवै चून्नू भाया। पण बौ नूंवौ जिनावर तो आपणी एक भी नीं सुणै !

चुन्नु : आपणी कांईं सुणै......मन्नै तो लागै कै बौ की रीं भी नीं सुणै।
झमकू : तूं स्यात ध्यान स्यूं कोनी देख्यौ कै बौ अठै आणै रै पछै कित्तौ मोटी-ताजौ होग्यौ है।
चुन्नु : चलो छोडो झमकू बाई, आपां बीनै एक मौको और देवां।
झमकू : पण चुन्नु भाया, मेरै तो आ जचै कै पैली बीरै कन्नै जार बी स्यूं बात करां। बीनै समझावां। केठा मामलो अठैई सलट ज्यावै।
चुन्नु : चालौ......समझार भी देख ल्यां।
(सगला जिनावर एक दिसा मांय चाल पड़ै..सैस्यूं आगै झमकू, झमकू रै लारै चुन्नू अर बाकी जिनावर चुन्नु रै लारै-लारै)

(दूजौदरसाव)
एक दरखत रै नीचै शंखेसर सूत्यौ है। शंखेर नै देखतांई झमकू सगला जिनावरां नै रूकणै रौ इसारौ करर बानै चुप करावै। सगला जिनावरां नै शंखेसर रै खर्राटां री अवाज सी सुणीजै...खर्र...खर्र...खर्र...खर्र।
झमकू : (दूर स्यूई होलै-होलै हेलौ मारै) मोटू भाया.. ओ ऽ ऽ ऽ मोटू भाया।
(शंखेसर रै खर्राटां री अवजा अबसाफ सुणीजै.. खर्र...खर्र...खर्र...खर्र।)
चुन्नु : झमकू बाई, जोर स्यूं हेलौ मार...तूं डरै क्यूं है।
झमकू : (जोर स्यूं हेलौ मारै) मोटू भाया..ओ ऽ ऽ ऽ मोटू भाया ऽ ऽ ऽ ओ भाया ऽ ऽ ऽ
(शंखेसर नींद मांय पसवाड़ौ फोरै अर खर्राटां री आवज पछै और तेज हो ज्यावै ...खर्र...खर्र...खर्र...खर्र...खर्र...खर्र...खर्र...खर्र।)
चुन्नु : झमकू बाई, तूं कैवै तो म्हूं बीं रै कन्नै जार बीनै जगाऊं।
झमकू : (हाथां रै इसारै स्यूं समझांवती) नां रै भाया...ईं रौ कांईं भरोसो।

(खर्राटां री अवाज लगातार आवै)
चुन्नु : तो ? अब कांई करां ? तू कै वै तो म्हूं इनै मिंटा मांय जगा दयूं।
झमकू : (गरद ऊंची नै झटकार) चल जगा...।
चुन्नु : (दोनूं हाथां नै मुंडैरै आसै-पासै लगार जोर सूयं हेलौ मारै) मोटू भाई जी..ओ ऽ ऽ ऽ मोटूा भाई जी ऽ ऽ ऽ
शंखेसर : (अंगाड़ी तोड़तो-तोड़तो) अरै कुण है?
झमकू : म्हैं हां मोटू भाई जी...इण जंगल रा वासी।
शंखेसर : (उबासी लेंतौ-लेंतौ ) मेरै कन्नै कीयां आया हो ?
झमकू : (सिर कुचरती-कुचरती होलै सी कैवै ) मोटू भाई जी, थे म्हानै सगला नै तंग करो नीं..इण कारण म्है थां स्यू बात करण आया हां।
शंखेसर : (जोर स्यूं हांसै ) हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ पिद्दी सो खरगोसियो अर तिणकलो सी लूंकड़ी मेरै स्यूं बात कर सी ! हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ (शंखेसर री हांसी सुणर झमकू चुन्नी कानीं देखै)

चुन्नु : मोटू भाई जी, इण मांय हांसण री कांईं बात है ?
शंखेसर : हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ बात तो आइज है कै कीं बात नीं है।हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ म्हूं बिना बात भी हांस सकूं...हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ
झमकू : (हाथ जोड़र) मोटू भाई जी..म्हारी बात तो सुणौ।
शंखेसर : हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा बात सुणन रौ मेरै कन्नै टैम नीं है......हा ऽ ऽ ऽहा ऽ ऽ ऽहा ऽ ऽ ऽहा ऽ ऽ ऽ चुपचपाता चल्या जावौ..नीं तो म्हूं मेरै तीखा-तीखा सींगां स्यूं थां सगलां नै चीरर खिंडा दयुंलो।
चुन्नू : (आपरी कमर पर दोनूं हाथ रखर) मोटू भाई जी, थे इत्ता चटकै क्यूं आफर ज्यावौ। म्है सगला तो आपरै साथै परेम स्यूं रैणौ चावां
शंखेसर : (मुंडौ ऊंची नै करर जोर स्यूं हांसै) हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ पिद्दी सो खरगोसियो अर तिणकलो सी लुंकड़ी मेरै स्यूं बात कर सी ! हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ (शंखेसर री हांसी सुणर झमकू चुन्नु कानीं देखै)
चुन्नु : मोटू भाी जी, इण मांय हांसण री कांईं बात है ?
शंखेसर : हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ बात तो आई ज है कै कीं  बात नीं है ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ म्हूं बिना बात भी हांस सकूं...हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ
झमकू : (हाथ जोड र) मोटू भाई जी...म्हारी बात तो सुणौ।
शंखेसर : हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ बात सुणन रौ मेरै कन्नै टैम नीं है...हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ चुपचपाता चल्या जावौ....नीं तो म्हूं मेरै तीखा-तीखा सींगां स्यूं थां सगलां नै चीर र खिंडा दयुंलो।
चुन्नु : (आपरी कमर पर दोनूं हाथ रखर) मोटूं भाई जी, थे इत्ता चटकै क्यूं आफर ज्यावौ। म्है सगला तो आपरै साथै परेम स्यूं रैणौ चावां।
शंखेसर (मुंडौ ऊंची नै करर जोर स्यूं हांसै) हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ परमे...औकिण बला रौ नांव है...मेरी खोपड़ी मांय परेम नांव रौ कोओई सबद नीं है।
झमकू : (होलैसीक) पण मोटू भाई जी।
शंखेसर : पण-पाण कीं नीं है...भाज ज्यावौ अठैऊं, नीं तो म्हूं सगलां नै मार-मार भजा देस्यूं (फेर हांसै) हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ

झमकू : मोटू भाई जी...जे आप म्हारै साथै चोखौ ब्योहार नीं करस्यौ तो म्है जंगल रै राजा बघेलसिंघ जी स्यूं थारी सिकायत कर दयांगा।
शंखेसर : (झमकू री नकल करै) जंगल रै राजा बघेलसिंह जी स्यूं थारी सिकायत कर दयांगा। जाओ-जाओ कर द्यौ सिकायत। म्हूं इसी धमक्यां स्यूं डरण आलौ कोनीं।
चुन्नू : देखो मोटू भाई जी, आप कैणौ मान ल्यौ।

शंखेसर : (माथै मांय त्योरी चढार) नीं तो ? जे कैणौ नीं मान्यौ फेर ?
चुन्नु : फेर तो लाग ज्यैगो बेरौ।
शंखेसर : (हाथ झटकार) अरै जा...भौत देख्या है।
झमकू : भौत नीं देख्या...म्हारै राजा बघेलसिंघ जी मांय भौत ताकत है। थे स्यात बानै जाणौ कोनीं।
शंखेसर : म्हूं सगलां नै जाणूं-पण थारै बघेल-वघेल नै कतई नीं जाणूं।
झमकू : जाणौ कोनीं जदी तो रोला करण लागर्या हो।
शंखेसर : (जोर स्यूं धमकावै) अरै ओ लूंकड़ी री बच्ची..ज्यादा चीं-चपड़ नां कर..सगला जमां एक बात कान खोलर सुणल्यौ...कै इण जंगल रौ राजा मैं हूं...समझ्याक कोनीं समझ्या...।
चुन्नु : (हांसर) वाह भाई जी वाह ! इण जंगल रा राजा थे कद स्यूं होग्या ?...कद होयौ चुणाव अर कद पड़्या बोट ?
शंखेसर: (मुक्कौ ताणर) बोट कोनीं...अठै तो सोट आलै रो राज है।
झमकू : क्यूं मोटू भाई जी, आप कई दिनां स्यूं जंगल मांय दादागिरी दिखार्या हो...आपनै म्हारै राजा बघेलसिंघ जी रौ डर नीं लागै ?
शंखेसर : (गरदर झटकार) म्हूं भगवान स्यूं भी नीं डरूं...बघेलसिंघ कांईं चीज है ?
चुन्नु : मोटू भाई जी, राजा बघेससिं जी वास्तै ईंयां नां कैवौ।
शंखेसर : बघेलसिंघ राजा होवैलो थारो...मेरौ कोई राजा नीं है..अठै रौ तो मैंई राजा हूं अर जे मन्नै आगी रीस...तो म्हूं थारै बघेल रा भुजिया बणा द्यूलो।
झमकू : मोटू भाई जी, थे तो बिना बातई नराज होवण लागर्या हो। म्हारै राजा जी वास्तै कम स्यूं कम...थानै ईंयां तो नीं बोलणौ जइजै।
शंखेसर : (गुस्से मांय) अर थे दोनूं जणां मन्ने इत्ती देर स्यूं मोटू भाई जी-मोटू भाई जी कैण लागर्या हो...थानै ध्यान होवणौ चइजै कै मेरौ नांव मोटूं नीं है।

चुन्नु : (होलैसीक) कांईं नाव मोटू...(भूल माथै जीभ काडै) कांई नांव है भाई जी थारो ?
शंखेसर : लोग मन्नै शंखेसर कैवै।
चुन्नु : (मुलकर) लोग तो थानै शंखेसर कैवै...पण थारो नांव कांईं है ?
शंखेसर : (गुस्सै मांय) अरै औ ऽ ऽ ऽ

झमकू : (धमकावै) चुन्नु !
शंखेसर : (गुस्से मांय) अरै औ चुन्नु रा बच्चा...मेरौ नांव याद कर लेई...अब जे कणीं मन्नै मोटूं कैयोनीं...तो म्हूं बीरौ अर बींरै पूरै खानदान रौ नांव माटी मांय मिला द्यूंला।
झमकू : चुन्नु, मजाक तो आपरै संगलियां स्यूं करणी चइजै...चल...शंखेसर स्यूं माफी मांग।
चुन्नु : (हाथ जोड़र) अच्छया शंखेसर भाई जी, मेरी गलती होगी।
शंखेसर : अब सगला जणां फूटौ अठै स्यूं...बेकांर री बैस करर मेरौ मूड नां खराब करौ।
झमकू : तो शंखेसर भाई जी, अब जंगल रै की जीव नै मारो-कूटोगा तो नीं ?
शंखेसर : (गरदन झटकार) मारांगा जिकां नै मारांगा अर छोडांगा जिकानै छोड़ागा। आ तो मेरै मूड री बात है।
झमकू : शंखेसर भाई साब, इण जंगल मांय कीरी भी गुंडागरजी नीं चाल सकै।
शंखेसर : तूं गुंडागरदी नीं चालणै री बात कैवै...म्हारै तो गुंडागरदी खूब फलै-फूलै लाडी।
चुन्नु : म्हारै राजा बघेलसिंघ जी कन्नै थारी सिकायत नीं पु ची है...नीं तो अब तांई दूध रौ दूध अर पाणी रौ पाणी हो ज्यांवतौ।
शंखेसर : तूं यार, कांईं घमण्ड दिखावै तेरै राजा रौ।
झमकू : चुन्नु घमण्डनी दिखार्यौ है शंखेसर भाई साब, औ साची कैवै ...थानै पतो होवणौ चइजै कै म्हारा राजा जी गलत बोलणियै अर गलत रस्तै माथै चालणियै नै जीवतोई नीं छोड़ै...भलांई बारौ आपरो बेटोई क्यूं नीं होवै।
शंखेसर : (गुस्सै मांय) मन्नै धमकी देवणै री जरुत नीं है...थानै सिकायत करणी है तो काल करता आज करौ...आपणी आदत नीं है कीरै आगै लल्लो-चप्पो करण री।
झमकू : थानै लल्लो-चप्पो करण रौ कुण कैवै...म्हारो तो औ कैणौ है कै आप फालतू रै घमण्ड अर रोलै-रप्पै छोड़र सगलां साथै रल-मिलर रैवौ।
शंखेसर : (आंकड़र) अर जे सगलां साथै रल-मिलर नीं रैवू तो ?
चुन्नु : तो ! तो शंखेसर भाई जी, एक बात ध्यान राखियौ कै कागद नी नाव रोजिनी नीं बै वै।
शंखेसर : (गुस्सै मांय) इत्तौ बढ-चढ़र बोलण री जरुत नीं ह-समझ्यौ !
चुन्नु : (होलैसीक) समझग्यो ।

शंखेसर : (जोर स्यूं ) समझग्यौ...तो मेरै कन्नै धमा-चौकड़ी करणऐ री जरुत नीं है। जे मन्नै रीस आगी...तो म्हूं सगलां नै आभी दे दयला परसाद सो। फूटौ अठै स्यूं...।
झमकू : चुन्नु...चालौ भाया...।
चुन्नु : हां झमकू बाई, चालौ।
(शंखेसर अंगाड़ी तोड़र पाछौ सो ज्यावै अर सगला जिनावर भेला होर पाछा चाल पड़ै।)

(तीजौदरसाव)
झमकू : चुन्नु भाया...शंखेसर पर तो कोई बात रौ असरई नीं होवै रै !
चुन्नु : हां झमकु बाई...असर होया करै के कदी इस्यां पर...चीकणै घड़ै पर जे पाणी ठैरै तो इस्यां पर असर होवै।
झमकू : बौ मोटू सो शंखेसर कित्तो घमण्डी है !
चुन्नु : हां बाई, ईरौ घमण्ड तो दूर होवणौई चइजै।
झमकू : तूं देखतो जा...राजा जी नै सिकायत करण री देर है।
चुन्नु : झमकू बाई, मेरै हिसाब स्यूं तो ईंरी सिकायत राजा बघेलसिंघ जी स्यूं करई देणी चइजै। तन्नै म्हूं पैलां बतायौ कोनीं हो झमकू बाई। काल अण मन्नै दुलत्ती मारर घायल कर दियौ हो।
झमकू : अच्छ्या ! चुन्नु भाया, काल तन्नै भी मार्यौ।
चुन्नु : हां झमकु बाई।

झमकू : तेरौ कांईं बात माथै झगड़ौ होयौ हो इण शंखेसर स्यूं ?
चुन्नु : बात कांई होणीई झमकू बाई।
झमकू : फेर भी ?
चुन्नु : फेर क्यांगी...काल म्हूं चुपचाप घास कुतर-कुतरर खावै हो...कै अचाणचकोई शंखेसर आर मन्नै आप रै सींगां स्यूं भौत ऊंचौ उछाल दियौ।
झमकू : (मुंडै रै कन्नै हाथ लेज्यार) हाय राम, तन्नै सींगा स्यूं ऊंची नै उझाल दियौ !
चुन्नु : हां झमकू बाई, मेरौ तो एकर सांसई निकलग्यौ पण म्हूं तो आ सोचर चुप हो ग्यौ हो कै बात नै घणी बदाण मांय कांई फाइदौ।
झमकू : (मुलकर) तूं तो आजकाल बडौ स्याणौ होग्यौ रै चुन्नु...आबात तो आपां सगला जाणां कै एक जणौ जे लड़ै अर दूजौ चुप रैज्यावै तो झगड़ौ आगै नीं बढै पण भाया सैन करणै री भी तो कोई हद होवै। म्हूं तो कैवूं...कै इण शंखेसर रै बच्चै नै आपरै करमा रो डण्ड मिलणौई चइजै।
चुन्नु : हां झमकू बाई...आपां नै तो औ गाजर-मूली स्यूं बेसी नीं समझौ...इण नै डण्ड तो मिलणौई चइजै।
झमकू : डण्ड तो मिलसी, जरूर मिलसी...थे सगला देखता रैया (एक कानीं इसारौ करै) बौ देखो सामणै जंगल दरबार आर्यौ है।
(चुन्नु अर सगला जिनावर ऊंचा-नीचा होर सामणै देखौ)
चुन्नु : हां झमकू बाई...अब तो आग्यौ लागै आपणै राजा बघेलसिंघ जी रौ दरबार।

(चौथौदरसाव)
चुन्नु : (दरबार रै कन्नै आर) महाराज बघेसलसिंघ जी री जै हो..महाराज री जै हो।
बघेलसिंघ (धाड़ मारर) कांईं बात है चुन्नु ?
चुन्नु : हुकम...कई दिनां स्यूं आपणै जंगल मांय एक नूंवौं जिनावर आयोड़ौ है...बण म्हारौ सगलां रौ जीणौ हराम कर राख्यौै है महाराज।
बघेलसिंघ : पहेल्यां ना बुज्झा चुन्नू.....कांईं होयौ है, मन्नै थोड़ो डिटेल मांय बता !
चुन्नु : महाराज, आपणै जंगल मांय शंखेसर नांव रौ एक नूंवौ जिनावर आयौ है...बीरा बड़ा-बड़ा कान...बडी-बडी आंख्या अर सिर पर तीखा-तीखा दो सींग है हुकम।
बघेलसिंघ : (धाड़ मारर) कांई कैवै है बौ ?
(राजा रौ सवाल सुणतांईं चुन्नू झमकू कानी देखै अर आंख्यां स्यूं भापण ऊंची करर बीं नै बोलणै रौ इसारौ करै)
झमकू : महाराज, बौ कैवै कै जंगल रौ राजा तो मैं हूं, अर महाराज...बौ जद जोर स्यूं बोलै तो ईंयां लागै हुकम...जाणै आपणै गढ मिंदर मांय संख बाजै।
बघेलसिंघ : (चुन्नु कानीं देखै) कांई चावै बौ ?
चुन्नु : (गरदन झुकार) कांईं पतौ महाराज।
बघेससिंघ : क्यूं झमकूं......कांई चावै बौ ?

झमकू : महाराज, पतौनीं कांई चावै...पण हुकम म्ह सगला जणां बींस्यूं नाक-नाक आर्या हां। कोई बीरै कन्नै जावै तो बौ आपरै सींगां स्यूं छोटै जिनावरां नै हवा मांय उछालद्यै अर बडा जिनावरां नै सींगां री मारर घायल करद्यै हुकम...।
चुन्नु : (गरदन झुकार) महाराज, आज म्है दुःखी होयोड़ा थारै दरबार मांय आया हां हुकम।
बघेलसिंघ : (धाड़ मारर)
(दरबार मांय सेनापति जम्बू हाथी आवै अर सावधन होर थोड़सोक झुकै)
जम्बू : हां महाराज...कांईं ईग्या है हुकम ?
बघेलसिंघ : सेनापति जम्बू, जंगल मांय इस्यौ कुण मूरख आग्यौ जिकौ मेरै होंवतां थकां घमसाण मचावै। जाओ...बीं दुस्ट नै मेरै सामणै हाजर करो।
(सेनापति जम्बू हाथी पाछौ मुड़र जाण लागै...बौ पांच-च्यार पांवड़ाई चालै इणीं बीच झमकू बोल पड़ै...)
झमकू : (गरदन झुकार) छमा कर्या महाराज, थे ऐकर सेनापति जी नै रोकौ हुकम...।
बघेलसिंघ : (धाड़ मारर) सेनापति ऽ ऽ ऽ
(सेनापति रुक जावै अर मुड़र पाछौ आर एक कानीं सावधान खड़्यौ हो ज्यावै)
जम्बू : (थोड़सोक झुकर) जो ईग्या महाराज।
बघेलिसिंघ : रुको सेनापति...रुको।
जम्बू : जो ईग्या महाराज।

(सेनापति पाछौ सावधन खड्यौ हो ज्यावै अर राजा बघेलसिंघ सवालिया नजर स्यूं झमकू कानीं देखै)
झमकू : (थोड़सीक झुकर) छमा कर्या महाराज, छोटो मुंडौ अर बडी बात है...बौ नूंवौं जिनावर शंखेसर भौत चलाक है महाराज। सेनापति जी रै बौ ताबै नी आवैलौ हुकम।
(इत्तौ कैर झमकू चुन्नु कानीं देखै)
चुन्नु : (गरदर झुकार) हां महाराज, झमकू बाई साची कैवै। बौ शंखेसर भौत तकड़ौ है हुकम।
बघेलसिंघ : (धाड़ मारर) खामोस।जबान नै लगाम दे चुन्नु...आपमै दरबार मांय दुसमण री बडाईनीं चइजै...।
चुन्नु : (गरदन थोड़ी और नीच करर) गलती माफ कर्या महाराज। (थोड़ो लारै सिरकर झमकू कानीं देखै)
झमकू : (झुकर) आप री ईग्या होवै तो म्हूं राय देऊं महाराज !
बघेलसिंघ : हां-हां बोल...कांईं कैणौ चावै झमकू ?
झमकू : महाराज, थानै थोड़ी दिक्कत तो होसी...पण मेरी मानो तो सेनापति जी रै साथै-साथै आप भी चालौ हुकम...।
चुन्नु : हां महाराज, बठैई जार थे बीं बदमास नै डण्ड देवौ...म्है सगला जणां भी थारै साथै चालस्यां महाराज।
बघेलसिंघ : कांईं बात है ? मेरौ साथै जाणौ भौत जरूरी है झमकू ?

झमकू : हां महाराज, थे देखल्यौ जरूरी तो है महाराज। म्हूं तो आ सोचूं...कै थे चटकै स्यूं चटकै म्हारै साथै चालौ नीं तो के ठा बौ कित्ता नै और घायल कर द्यैगो हुकम।
बघेलसिंघ : तो ठीक है..इसी बात है तो चालौ (खड़्यौ होर अंगाड़ी तोड़ै। अंगाड़ी तोड़र धाड़ मारै...धाड़ मारर) तो फेर चालां ?
चुन्नु : (राजी होर) हां महाराज।
(राजा बघेलिसंघ चाल पड़ै...इणारै लारै-लारै सेनापति जम्बू हाथी, झमकू, चुन्नु अर बाकी जिनावर भी चालै)
जम्बू : (नारौ लगावै)महाराज बघेलसिंघ जी री।
सगला :(एक साथ) जै हो ऽ ऽ ऽ
चुन्नु : (नारौ लगावै) महाराज बघेसलिंघ जी री
सगला :(एक साथ) जै हो ऽ ऽ ऽ
झमकू : (नारौ लगावै) महाराज बघेलसिंघ जी री
सगला :(एक साथ) जै हो ऽ ऽ ऽ
(पांचवौं दरसाव)
(एक दरखत रै नींचै शंखेसर सूत्यौ है। सैं स्यूं पैली चुन्नु बींनै देखै)
चुन्नु : बौ देखौ महाराज, बौ है नीं...बौ देखौ...बीं रुंख नै नीचै।
झमकू : हां महाराज, बौ देखो बौइज है शंखेसर। हुकम, भौत तंग करै म्हानै शंखेसर।
बघेलसिंघ : (धाड़ मारै) शंखेसर ऽ ऽ ऽ
शंखेसर : (बैठ्यो-बैठ्योई चिमकर) हंईं ! औकुण मूरख है...जिकौ मेरी मिसरी जिसी नींद नै खराब करर्यौ है।
बघेलसिंघ : (धाड़ मारर) सेनापति ऽ ऽ ऽ
जम्बू : जो ईग्या महाराज...।
बघेलसिंघ : सेनापति, इणनै समझावौ..कै इण जंगल मांय म्हारौ राज है अर म्हारै राज मांय गुण्डागरदी बरदास्त नीं हो सकै।
जम्बू : (अदब स्यूं झुकर) जो ईग्या महाराज।
(सेनापति शंखेसर रै कन्ना जावै। शंखेसर बैठ्यौ रै वै) अरै औ शंखेसर ऽ ऽ ऽ शंखेसर ऽ ऽ ऽ
शंखेसर : (बैठ्यौ-बैठ्यौई) क्यूं...कांईं बिमारी है ? कुण है तूं ?
जम्बू : खड़्यौ हो अठै स्यूं।

शंखेसर : (बैठ्यौ-बैठ्यौई) क्यूं..आ जगां थारी मोल लेयोड़ी है कांईं ?
जम्बू : तन्नै ध्यान होवणौ चइजै कै इण पूरै जंगल मांय राजा बघेलसिंघ जी रौ राज है अर म्हू अठै रौ सेनापति हूं।

शंखेसर : (हांसतौ-हांसतौ ख्‌यौ होर फेर हांसै) ढेंचूं ऽ ऽ ऽढेंचू ऽ ऽ ऽ ढेंचूं ऽ ऽ ऽ सेनापति है तो कांईं करां...ढोल-नगाड़ा बजावां ?
जम्बू : देख शंखेसर, तूं इण जंगल स्यूं राजी-राजी चल्यौ जा।
शंखेसर : नीं तो ?
जम्बू : नीं तो गुण्डागदरी करणियै री म्हैं फिंच्यां पादरी कर द्यागां।।
शंखेसर : (अचाणचकोई सेनापति रै पेट मांय सींग मारै) हे ऽ ऽ ऽ औलै (भचीड़)
जम्बू : (जोर स्यूं चीखै) आ ऽ ऽ ऽ (पड़ ज्यावै, पछै खड़्यौ होण री कोसिस करै अर शंखेसर बैठ ज्यावै)
झमकू : (होलैसीक राजा जी रै कान मांय) महाराज, शंखेसर नरमाई स्यूं नीं मानै हुकम। नीति तो कै वै कै दुस्ट कै साथै दुस्टां जिस्यौ व्योहार करणौ चइजै।
बघेलसिंघ : तूं ठीक कैवै झमकू। आपणां सेनापति समझदार है, ईंया चावै तो बै ईरी ज्यान भी ले सकै पण म्हूं नीं चावूं कै आपणै जंगलम मांय इण दुस्ट रै कारण हिंसा होवै।
जम्बू : (ख्‌यौ होर शंखेसर रै कन्नै जावै) शंखेसर, तन्नै उधम मचांवतै ने घणाई दिन होग्या। ज्यान प्यारी है तो अठै स्यूं चल्यौ जा
शंखेसर : म्हूं कैवू मेरै कन्नै नां आई...नीं तो ठीक नीं रै वैली।
जम्बू : (धीरजाई स्यूं) देख शंखेसर, मेरौ कैणौ मान ले..म्हारै राजा जी

रौ भी आदेस है कै तूं अठै स्यूं चल्यौ जा।
शंखेसर : (ख्‌यौ होर) म्हूं अठै स्यूं जाऊं भी कोनीं अर गुण्डागरदी भी कर स्यूं...अब बोलो...कांई बिगाड़स्यौ मेरौ ?
जम्बू : अठै तेरी गुण्डागरदी नीं चालैगी। तू चुपचाप चल्यौ जा।
शंखेसर : (गुस्सै मांय) म्हूं नी जाऊं अठै स्यूं ...yan ! (शंखेसर इत्तौ कैर बैठ ज्यावै)
बघेलसिंघ : (धाड़मारर) सेनापति ऽ ऽ ऽ ऽ
जम्बू : (शंखेसर रै कन्नै ख्‌यौ-ख्‌यौ ई झुकर कैवै) जो ईग्या महाराज।
बघेलसिंघ : इण मूरख जिनावर रा सींग पकड़र मेरै कन्नै ल्यावौ।
जम्बू : जो ईग्या महाराज। (शंखेसर रै कन्नै जावै)
बघेलसिंघ: (धाड़मारर) जाओ...सगलां जणां घेरल्यौ इण शंखेसर रै बच्चै नै।
(राजा बघेलसिंघ रौ आदेस सुणर सगला जिनावर शंखेसर रै च्यारूं चफेर घेरौ बणाल्यै)
शंखेसर : आ कांईं मजाक है (हांसै) ढेचूं ऽ ऽ ऽ ढेंचूं ऽ ऽ ऽ ढेंचूं ऽ ऽ ऽ आज फस्ट अप्रेल तो कोनीं।
जम्बू : (घेरौ तोड़र शंखेसर रै कन्नै जावै) फस्ट अप्रेल तो तेरी म्हा बणास्यां आज।
शंखेसर : (खड़यौ होर)मेरै कन्नै ना आइयौ कोई..नीं तो सींग अर दुलत्ती मारर थां सगलां रौ संख बजा द्युला।
जम्बू : तूं कांईं बजावैगो...तेरौ संख अब म्है बजास्यां (इत्तौ कैर सैनापति आपरै सूंड स्यूं शंखेसर रा सींग पकड़नै री कोसिस करै)

चुन्नु : हा सेनापति जी...पकड़ौ।सैस्यूं पैली तो ईंरै सींगा रौ इलाज करौ।
शंखेसर : म्हूं कै दियौ नीं सेनापति...मेरै कन्नै नां आइयौ।
जम्बू : (शंखेसर रा सींक पकड़ै) अब चुपचपातौ ख्‌यौ रैयी।
शंखेसर : (उछलै) हे ऽ ऽ ऽ औलै ऽ ऽ ऽ (सेनापति रै पेट मांय जोर स्यूं सींग मारै अर बाकी जिनावरां रै दुलत्ती मार-मारर घायल करै..सेनापति दरद स्यूं चीखै अर सगला जिनावरां मांय रापटरोली मच ज्यावै)
झणकू : (लंगड़ाती-लंगड़ाती राजा जी रै कन्नै जावै अर घबरार कैवै) महाराज...महाराज...शंखेसर आपणै सेनापति जी रै भौत जोर स्यूं सींग मार्यौ है हुकम।
बघेलसिंघ : हूं। (धाड़ मारर ख्‌यौ होवै अर शंखेसर रै कन्नै जार हथल मारै) शंखेसर ऽ ऽ ऽ
शंखेसर : (जोर स्यूं चीख मारर पड़ज्यै) ओरे मरग्यौ रै महाराज...(शंखेसर प्‌यौ-प्‌यौ अरड़ावै) ओ रे मार दियौ रे ऽ ऽ ऽ
बघेलसिंघ : सेनापति ऽ ऽ ऽ
जम्बू : (दरद मांय) जो ईग्या महाराज।
बघेलसिंघ : इण दुष्ट रा सींग उखाड़ौ।
जम्बू : जोई ईग्या महाराज। (सेनापति शंखेसर रै कन्नै जावै)
शंखेसर : (प्‌यौ-प्‌यौ अरड़ावै) ओ रे महाराज, मेरा सींग तो नां उखड़ावाओ रे ऽ ऽ ऽ
बघेलसिंघ : (धाड मारर) चुप ऽ ऽ ऽ...सेनापति, आदेस री पालना करो।
जम्बू : जो ईग्या महाराज।
शंखेसर : (प्‌यौ-प्‌यौ ई लारनै सरकै) सेनापति, मेरै कन्नै ना आई...नीं तो ठीक नीं वैली। (गिड़गिड़ावै) महाराज...महाराज...मेरा सींग नां उखड़ावऔ...मै मर ज्याऊंगा महाराज। मन्नै माफ करद्यौ हुकम।
बघेलसिंघ : चुप ऽ ऽ ऽ (धाड़ मारै अर धाड़ रै साथैई शंखेसर भेलौ होर चुपचपातौ ख्‌यौ रैवै) चुन्नु ऽ ऽ ऽ

चुन्नु : (अदब स्यूं झुकर) जी महाराज।
बघेलसिंघ : तूं चिपकू बांदर रै साथै जा अर दो डाम (लौवै री एक सलाख) ताता करर ल्या।
चुन्नु : जो ईग्या महाराज।
(चुन्नु अर चिपकू दोनूं जणां जावै अर सेनापतिजी आपरै सूंड स्यूं शंखेसर रौ एक सींग पकड़र उखाड़ै)
शंखेसर : (दरद स्यूं चीखै) ओ रे...मर्यौ रे...मार दियौ रे ऽ ऽ ऽ
झमकू : अब देखो महाराज, पैली इणनै आपरै सींगा पर इत्तौ घमण्ड हो अर अब...औ कित्तौ गिड़गिड़ावै हुकम।

शंखेसर : (सींगा रै साथै ऊंचौ उठतौ-उठतौ) ओ रे महाराज...मन्नै माफ करद्यौ महाराज।
बघेलसिंघ : नहीं...अब तन्नै माफ कोनीं करां शंखेसर औ म्हारी न्याय व्यवस्था रौ सवाल है... समझ्यौ !
शंखेसर : औ रे सेनापति जी, थे मन्नै छोडदयौ रे म्हूं थानै घणौई धन देस्यूं सेनापति जी।
जम्बू : (गुस्सै मांय) दुस्ट...तूं मन्नै रिसवत रौ लालच देवै। तो हे...औ लै..(सूंड स्यूं सींग खींचताईं एक सींग खचचदणी सी उखड़ ज्यै)
शंखेसर : (जोर स्यूं चिल्लवै) ओ रे मावड़ी रे..औ रे मेरौ सींग रे..कित्तौ खून आग्यौ सेनापति जी ऽ ऽ ऽ
बघेलसिंघ : शंखेसर, इत्ता जोर स्यूं रोला नां कर..तूं नीं जामऐ कै रोला करणऐ स्यूं इण स्यांत जंगल मांय धवनी परदसूण फैलै।
शंखेसर : (दबी अवजा मांय) ओ रे..ओ रे मरग्यौ रे..भौत दरद होवै महाराज।
जम्बू : दरत तो मेरै भी होयौ हो शंखेसर..जद तू मेरै पेट मा औं सीग मार्यौ हो...अब हो ज्या त्यार।
शंखेसर : सेनापति जी..अब तो छोड्यौ रे..ओ रे
जम्बू : (सूंड स्यूं दूजौ सींग खिंचै) रोला नां करी नीं तो म्हूं तेरी ज्यान भी ले लूंगा।
शंखेसर : ओ रे..ओ रे मर्यौ रे..सेनापति जी, मेरी ज्यान ले ल्यौ पण सींग तो ना उखाड़ौ रे..ओ रे (जोर स्यू चीखै ओ रे ऽ ऽ ऽ
जम्बू : (खच्च री अवजा रै साथै ई दूजौ सींग उखाड़र) चुप हो ज्या रै ओ बिना सींग आला।
शंखेसर : (लगातार रोवै) ओ रे ऽ ऽ ऽ मार दियौ रे मेरी सींग उखाड़ दिया रे ऽ ऽ ऽ
जम्बू : (दोनूं सींग सूंड स्यूं उठार राजा बघेलसिंघ रै साण रखै) महाराज री जै हो...महारा ऐ ल्यौ शंखेसर रा सींग।
बघेलसिंघ : स्याबास सेनापति।

जम्बू : ( सूंड ऊंची करर) महाराज, आपरौ आदेस होवै तो म्हूं शंखेसर रौ काम तमाम कर्दयू अण भौत पाप कर्या है महाराज।
बघेलसिंघ : नहीं सेनापति...पापी ने मारणै स्यूं पाप नीं मरै...मेरौ तो औ कैणौ है कै बुरा करम करण आलै नैं बीरै करमां रौ डण्ड जरुर मिलणौ जइजै। नीति भी आइज कैवै सेनापति।
जम्बू : (झुकर) जो ईग्या महाराज।
(छठौ दरसाव)
(चुन्नु अर चिपकू रौ परवेस। चुन्नु रै एक हाथ मांय दो डाम अर दूजै हाथ मांय एक अखबार है। चिपकू रै हाथ मांय जगती अंगीठी है।)
चुन्नु : (नारौ लगावै) महाराज री ऽ ऽ ऽ ऽ
सगला :(एक साथै) जै हो ऽ ऽ ऽ ऽ

चुन्नु : (महाराज नै अखबार द्यै अर दोनूं डाम ऊंची करर) महाराज, ऐ देखो महाराज, म्है डाम ताता कर ल्यायां हां हुकम।
बघेलसिंघ : (अखबार पढतां-पढतां) हूं...।
जम्बू : (डाम कानीं इसार करतौ) आं रौ कांई करां महाराज ?
बघेलसिंघ : ऐ डाम फटाफट शंखेसर रै आगलै पगां रै ऊपर लगाद्यौ।
जम्बू : (चुन्नु स्यूं एक डाम लेर) जो ईग्या महाराज (शंखेसर रै कन्नै जावै)
शंखेसर : (गिड़गिड़ावै) ओ रे...मैं मर ज्याऊंगा महाराज...ताता-ताता इण डामा स्यूं तो मेरी ज्यान ई निकल ज्यैगी महाराज...महाराज मन्नै बखसौ...मन्नै नां मारौ हुकम।
बघेलसिंघ : चिंत्या नां कर शंखेसर...म्है तन्नै मरण कोनीं द्यां । (जम्बू नै कैवै) सेनापति ऽ ऽ ऽ ऽ
जम्बू : जी महाराज।
बघेलसिंघ : चेपो !
जम्बू : जो ईग्या महाराज।
(सेनापति शंखेसर रै आगैल पगां रै ऊपर डाम लगावै तो शंखेसर री चीख रै साथै धुंऔ नीकलै)
शंखेसर : (जोर स्यूं चीखै अर अरड़ावै) ओर रे बाल दियौ रे...ओ रे मावड़ी रे..तातौ डाम लगार तो मेरौ धुंऔ काड़ दियौ रे महाराज ओ रे मेरा पग बाल दिया रे ऽ ऽ ऽ ऽ
(सगला जिनावर राजी होर उछल-कूद मचावै अर बघेलसिंघ लेट्यौ-लेटयौ अखबार पढै)
जम्बू : आभी बाल्यौ कठै...आभी तो एकई डाम लगाई है शंखेसर..दूजी तो बाकी है।
शंखेसर : (अरड़ावै) ओ रे...ना औ सेनापति जी, मन्नै छमा करद्यौ।

बघेलसिंघ : (अखबार स्यूं निजर उठार सेनापति कानीं देखै) सेनापति ऽ ऽ ऽ ऽ
जम्बू : जो ईग्या महाराज...हे...आल्यौ।
शंखेसर : (चीखै) आ ऽ ऽ ऽ ओ रे ऽ ऽ ऽ मरग्यौ रे ऽ ऽ ऽ सेनापति मन्नै बाल दियौ रे..ओ रे दया करो महाराज, मन्नै छमा करद्यौ रे...ताता-ताता डाम और नां लगाइयौ रे..मन्नै बाल दियौ रे..ओ रे..ओ रे मेरा सींग भी उखाड़ दिया..ओ रे..अठै मेरौ कोई नीं है रे..ओ रे मरग्यौ रे।
चुन्नु : तूं मर्यो कोनी शंखेसर, आभी तो तूं बोलै पण जे ज्यादा रोलौ-रप्पो कर्यौ नीं तो तन्नै सेनापति जी मार भी द्यैगा। समझ्यौ !
शंखेसर : ओ रे.....समझग्यौ रे...मन्नै कोई छुड़ाद्यौ रे...(शंखेसर राजा बघेलसिंघ रै पगां पड़ै) मन्नै छोड़ दयौ महाराज...मन्नै बखसौ हुकम...ओ रे ऽ ऽ ऽ ऽ
बघेलसिंघ : (अखबार समटै) ठीक है..ठीक है..तन्नै तेरै करमां रो डण्ड मिलग्यौ..अब तूं इणीं टैमई इण जंगल स्यूं निकलज्या।
शंखेसर : (पगां मांय प्‌यौ-प्‌यौई) मन्नै अठै स्यूं तो नां काडौ महाराज।
बघेलसिंघ : (धाड़ मारै) उठै है कै नीं !
शंखेसर : (उठतौ-उठतौ) जाऊं महाराज...पण महारा, म्हूं अब जाऊं कठीनै ?
बघेलसिंघ : तूं सामणै आलै गांव जल्यौ जा। चटकै भाज। जंगल कानी जे मुंडौ कर्यौ नीं तो ताता डाम लगार तेरौ मुंडौ बाल द्यांगा।
शंखेसर : (जांवतौ-जांवतौ होलैसीक बोलै) जो ईग्या महाराज।
बघेलसिंघ : चटकै भाज ऽ ऽ ऽ ऽ
शंखेसर : भाजूं महाराज (शंखेसर एक गांव कानीं भाजै) ओ रे मेरा सींग..मेरी सींग उखाड़ दिया रे...मन्नै बाल दियौ रे।

(सातूंवौंदरसाव)
(राजा बघेलसिंघ एक कुर्सी माथै बैठ्यौ है अर सगला जिनावर बीरै सामणै बैठ्या है अर चुन्नु अचाणकोई राजा बघेलसिंघ नै फूलांरी माला पैराण खातर राजा रै कन्नै जावै तो राजा पैरण नै कुर्सी स्यूं ख्‌यौ हो ज्यावै माला पैरताईं सगला जिनवार जोर-जोर स्यूं ताल्यां बजावै। )
बघेलसिंघ : (धाड़ मारर) जंगलवासियो, सरारती अर घमण्डी शंखेसर नै डण्ड मिल्गयौ है..अब ईरी पिठ्यां मायं कीरै भी सींग नी आवैला अर हजारूं-लाखूं बरसा तांईं आंरै पगारां ऐ दाग आनै आपरै बुरा करमा री याद दिराता रैवैला (बघेलसिंघ फेरू धाड़ै।)
जम्बू : (नारौ लगावै) महाराज बघेलसिंघ जी ऽ ऽ ऽ ऽ
सगला :(एक साथै) जिंदाबाद.....जिदाबाद....
जम्बू : (नारौ लगावै) राजा बघेलसिंघ जी की...
सगला :(एक साथै) जै हो- जै हो ऽ ऽ ऽ ऽ
चुन्नु : (नारो लगावै) राजा बघेलसिंघ जी री ऽ ऽ ऽ ऽ
सगला :(एक साथै ) जै हो ऽ ऽ ऽ ऽ
झमकू : (नारौ लगावै) महाराज बघेलसिंघ जी ऽ ऽ ऽ ऽ
सगला :(एक साथै) जिंदाबाद ऽ ऽ ऽ ऽ जिंदाबाद ऽ ऽ ऽ ऽ


2.बिगड़ग्यौ बबलू

नाटकराभागीदार -
(9-13 साल तांई रा तीन टाबर)
बबलू
बबलू री मां
बबलू रा बापू जी

(पैलौदरसाव)
बबलू री मा आंगणै मांय कुर्सी माथै बैठी सूटर बण। बबलू रा पापू जी हाणै ई ऑफिस सूं आया है।
मा : बबलू रा बापू जी, सुणौ कांई ?
बापू : (मांचै माथै बैठतां थकां) कांईं कै'वै ?
मा : थानै पतौ है कांईं, आपणौ बबलू अजकालै कित्तो बिगड़र्यौ है !
बापू : तूं बबलू री इत्ती चिंत्या ना कर्या कर। टाबर है। उछलकूद तो कर ई सी। इण मांय बिगड़न आली कांईं बात देखी तैं ?
मा : म्हारी बात थे कोनी समझ सको। सुणौ ई कोनी तो समझौगा किंयां। थानै तो ईं कानी ध्यान देवणै रौ टैम'ई कोनी। पछै सिर कुचरता रै'या, जद चोटी कट ज्यासी।
बापू : तो बबलू नै समझाणै री ड्यूटी मेरे ऐकलै की है। तूं सारै दिन घरां रै'वै। तूं कोनी समझा सकै ?

मा : हे भगवान............म्हूं अब कीं'नै कै'ऊं ?
बापू : तेरै मांय अक्कल है का नीं। इत्ती गरमी मांय सीटी बसां मांय धक्का खांवतौ-ऑफिस सूं आयौ हूं। ईं.ा तो नीं कै थोड़ौ आराम करण द्युं। पाणई-पूणी पा द्यूं। बस आंवतांई लाग्गी आपगौ रांडी-रोवणौ ले'र।
मा : (घड़ै सूं लोटौ उठा'र पाणी भरता थकां) आराम करल्यौ...म्हैं कद रोकूं...(पाणी रौ लोटौ पकड़ावतां थकां) ल्यौ..पाणी पी ल्यौ।
बापू : (पाणी पी'र लोटौ मेज माथै राखता थकां) हां, सब बोल...के करै है बबलू ?
मा : आ पूछौ कै के कोनी करै..एक तो घर मांय जीच छेड़तौ रैवै..कदैई टी.वी..कदै ई डैक, कदैई कूलर तो कदैई पंखौ। म्हूं धमकाऊं तो मेरौ सामणौ करै अर उलटौ सीधौ बोलै। थानै ओलमौ देवूं तो थे मनैई लड़ौ।

बापू : (रिसां मांय) अब कठै है बबलू रौ बच्चौ..म्हैं ज्यान काड द्युंगा बीरी..उल्लु रौ पट्ठौ।
मा : बस-बस..थे समझाय दियौ। थे जद ऑफिस चल्या चावौ नीं तो ऐन थरलै दांईं बोल औ। म्हैं तो सोचूं कै औ थाने देख-धेकर ई बिगड़यौ है।
बापू : तूं भी गेलसफा है। म्हूं बीं नै जद समझाण री सोचूं तो कैवै समझा दियौ....कठै है बौ कुचमादी ?
मा : कठै के है ! पाड़ौस्यां रै फिल्म देखतौ होवैला !
बापू : टी.वी. आपणै घरां कोनी के जकौ पाड़ौस्यां रै जावै।
मा: आपणै टी.वी. तो है पण डिस कनैक्शन कोनी। जद कोई फिल्म आवै तो बौ चुपचाप चल्यौ जावै। गरमी री सगली छुट्यां पण फिल्मां मांय ई गाल दी। कॉपी-किताबां रै अण हाथ नीं लगायी है।
बापू : (उबासी लेंवतां थकां) बलण दे ईं गोरख धंधै नै। कीं सो लेवण दे। दफ्तर सूं थक्योड़ौ आयौ हूं। (ईत्तौ कैर परसवाड़ौ फोरर सो ज्यावै)
बापू : (नींद सूं उठर हेलौ मारै) अरै पाणी ल्याइयौ..तावलीसी चा बणाद्यौ आज तो रामलाल री छोरी रौ ब्यांव है। बान देर आवणौ है। (हथघड़ी कानीं देखर) भौत मोड़ौ होग्यौ।
बबलू : (बापूजी रै गलबांथ घालतां थकां) बापू जी म्हारै खातर के ल्याया हो ?
बापू : (हाथ पकड़र झिड़कतां थकां) कठै हो इत्ती देर ?
बबलू (रोंवतौ सो) अशोक अंकल रै घरां फिल्म देखै हो।
बापू : (रीस मायं) तन्नै लाज कोनी आवै..रोज-रोज फिल्मां देखै ! (जेब सूं पांच रिपिया काड़र देंवतां थकां) जा पान आली दुकान सूं दो सिगरेट अर एक गुटखौ लेर आ।
बबलू : (पइसा लेर) ल्याऊं बापू जी ! (बबलू जावै)
मा : (पाणी अरचा झलावतां थकां) थानै पतौ है के. आपणौ बबलू लुक छिपर बीड्यां पीवै अर कई बार गुटखौ भी खावै।
बापू : (मुंडो धोंवतो-धोवतो) के कैयौ ! बबलू बीड्यां पीवै अर गुटखौ खावै ! म्हैं जान काड द्युंगा बींरी।
मा : और करई के सकौ थे।
(बबलू आवै)
बबलू : ल्यौ बापूजी, सिगरेट अर गुटखौ...अर आसुपर्यां री पुड़ी म्हारी।

बापू : (बबलू रै तड़ातड़ थप्पड़ मारतां थकां) दुस्ट, निकम्मी उलाद..तूं बीड़्यां पीवै !
बबलू : (रोंवतौ रोंवतौ) बीड्यां सिगरेटां ते भी तो पीवौ बापूजी !
बापू : (थप्पड़ मारै) शरम कोनीं आवै...म्हारै सामणै बोलै ! म्हूं सुण्यौ है कै थूं गुटखौ भी खावै।
बबलू : (रोंवतौ रोंवतौ) गुटखौ थे भी तो खावौ !
बापू : (थप्पड़ मारै) फेर सामणै बोलै ! म्है ज्यान काड़ द्युगा तेरी !
मा : (बबलू नै छुडावै) छोरै नै मारस्यौ के ईंयां !
बापू : तूं पासै हो ज्या, आज का तो औ कोनी अर का म्हूं कोनी।
बबलू : (रोंवतौ0रोंवतौ ) थे भी बीड़ी-सिगरेट पीवौ अर गुटखौ खावौ...म्हैं भी दादाजी नै कैऊंगा दादाजी नै बता सूं आज (बबलू रोंवतौ रैवै)
बापू : (जदई बबलू रा बापूजी रै जाणै झटकौ सौ लाग्यौ। बै कई ताल चुपचाप खड्या बबलू कानी देखता रैया। पछै गुटखौ नाली मांय फेंकत थकां)हे..ओ लै (सिगरेट रा टुकड़ा-टुकड़ा करर बगाद्यै । बै रोंवतै बबलू नै चुप करावण लागग्या। पछै बबलू नै गलै लगार) मन्नै माफ कर दे बबलू...आज सूं ईं गुटखै अर बीड़ी सिगरेटां री गन्दी आदतां नै म्हूं छोड़ूं। मन्नै माफ कर दे बबलू...मन्नै माफ कर दे।
(पड़दौ पसरै)



3.बात रा दाम

नाटकराभागीदार -
(9-13
साल तांई रा पन्द्र-बीस टाबर)
महाराज, मंत्री, शिव गणेश, भोला शंकर, दो सेवादार, अरदस पन्द्रा गांव वासी

(पेलोदरसाव)
राज दरबार लागरेयौ है। राजा सिंघासन माथै महाराज बैठ्या है। दो सेवादार पंखां सूं हवा घालरैया है। बांरै कन्नै एक कुर्सी माथै मंत्रीजी बैठ्या है। दो जवान शिवगणेश अर भोलाशंकर दरबार मांय आवै।
शिव-भोला : (एकै साथै) महाराज री..जै हो ! महाराज री..जै हो !
महाराज : कांईं काम आया जवानां ?
शिव : महाराज, थे मेनती अर ईमानदार आदमी रौ घमौ मान-सनमान करौ। आप सूं अरज है कै म्हानैई आपरै दरबार मांय कोई काम दिराऔ महाराज।
महाराज : कांईं नांव है थारौ ?
शिव : महाराज, म्हारौं नांव शिवगणेश है..अर इण रौ नांव भोलाशंकर है हुकम !
महाराज : कठै सूं आया हो ?
शिव : म्हैं दोनूं भाई रावछर सूं आयां हां महाराज। अर कोई काम

ढूंढता-ढूंढता आपरै कन्नै आया हां हुकम।
महाराज : काम तो थानै देस्यांई, पण काम देवण सूं पैली थां दोनां नै परीक्षा देवणी पडसी।
शिव-भोला : (एकै साथै) परीक्षा देवण खातर म्हे त्यार हां हजूर !
महाराज : मंत्री जी !
मंत्री : जी महाराज !
महाराज : माटी सूं भर्योडी दो बाल्टांय मंगवावौ।
मंत्री : मंगवावां हुकम (सेवादारां कानी देखर र) सेवादारो !
सेवादार : (दोनुं जणां झुक र) हुकम !
मंत्री : माटी सूं भर्यौड़ी दो बालट्यां ल्याऔ।
सेवादार : (जांवता-जावांत)अबै ई ल्याया हुकम।
महाराज : शिवगणेश !

शिव : जी महाराज !
महाराज : थे दोनूं बाई कित्ता पढ्यौडा हो ?
शिव : महाराज, म्हूं तो पांच पढ्यौड़ौ हूं, अर...भोलाशंकर अणपढ है महाराज।
सेवादार : (माटी सूं भर्योड़ी दो बालट्यां झलावतां थखां दोनूं ऐका साथै बोलै) ल्यौ महाराज !
महाराज : मंत्री जी !
मंत्री : जी महाराज !
महाराज : (शिवगणेश अर भोलाशंकर कानी देख र) आनै चोखी तरिया समझद्यौ कै कांईं करणौ है।
मंत्री : हुकम ! (शिव-भोला कानी देख'र) दोनूं जणां द्यान सूं सुणौ।
शिव : सिरमाथै, हुकम !
मंत्री : थां दोनों नै आ एक-एक बालटी माटी मै'ल सूं बा'रै ले ज्या'र गांव मांय बेच'र आवणी है। जे थे इण परीक्षा मांय पास होग्या तो थां दोनों नै दरबार मांय ऊचौ औ'दौ मिल सकैा।

महाराज : अब दोनूं जणां एक-एक बाल्टी उठाऔ, अर बा'रै जाऔ। पण ध्यान रै वै, दिन छिपण सूं पै'ली आ माटी बेच'र पाछौ आवणौ है।
शिव-भोला : (ऐकै साथै बालट्यां उठा'र) जो इग्या महाराज।
(दूजौदरसाव)
भोला : (गली-गली फेरी लगावै अर जोर सूं हेलौ मारै) माटी ले ल्यौ माटी ! माटी ले ल्यौ माटी !!
गांववासी : अरै औ माटी आला भाई, इन्नै आई।
भोला : (कन्नै जावै) माटी ले ल्यौ माटी !
गांववासी : के भाव है भाया माटी ?
भोला : थे कित्ता पइसा दे स्यौ ?
गांववासी : म्हूं तो च्यार आन्नां दे सूं ।
भोला : च्यार आन्नां माय तो कोनी बेचूं।
गांववासी : तो आठ आन्नां लै ल्यौ।
भोला : नां, आठ आन्नां मांय भी कोनी बेचूं।
गांववासी : तो कित्ता पइसा ले सी ?
भोला : पूरा दो रिपिया ले सूं।
गांववासी : अच्छ्या ! एक बालटी रा दो रिपिया ! क्यूं, रिपिया ऊपर सूं पड़ै है के ! (शिवगणेश सूं) अर थूं बेचै के भाया ?
शिव : नां, म्हैं तो कोनी बेचूं ।
गांववासी : तो गेलौ नापौ।
(शिव-भोला चाल पड़ै।)
भोला : तूं माटी क्यूं कोनी बेबै शिब्बू ?
शिव : म्है म्हारै हिसाब सूं बेचूंगा।
भोला : हिसाब सूं कियां ?
शिव : बौ भी सोच सूं एकर।

भोला : तूं सोचै भौत है।
शिव : कीं, भी काम करणै सूं पै'ली सोचणौ भौत जरुरी है।
भोला : ठीक है थूं सोचबो कर। माटी रै बोझ सूं म्हारौ खांधौ टुटण लागग्यौ। बेच-बेच'र नक्की करू म्हैं तो ! जित्ता मिलै बित्ताई ठीक है-धूड़ ई तो है।
शिव : थूं ईंया कर...माटी बेच्यां पछै मन्नै कठै मिलसी ?
भोला : थूं ईं बता !
शिव : थूं मन्नै भगतसिंघ चौक माथै मिल ज्याई।
भोला : घणौ मोड़ा नां कर देई...दिन छिपण सूं पै'ली आपां नै मै'ल मांय पाछौ पूगणौ है।
शिव : थूं चिंत्या नां कर। म्हूं टैमसर आ जास्यूं। थूं ईंयां कर..म्हूं इन्नै जाऊं...अर थूं बीन्नै जा।
भोला : हां, ईंया ठीक रै'सी।
(तीजौदरसाव)
भोला : माटी ले ल्यौ माटी ! माटी ले ल्यौ !!
गांववासी : माटी के भाव बेचै भाया ?
भोला : दो रिपियां मांय एक बालटी !
गांववासी : दो रिपियां तो जादा है भाई !
भोला : दो रिपियां मांय आवै के है भाईजी !
गांववासी : कीं तो कम कर भई।
भोला : कम रौ काम कोनी म्हारै कन्नै। जे लेवणी है तो बोलो। म्हारौ भी काम नीवड़ै।
गांववासी : चला लिया फेर...उठीनै रिता दे।
भोला : (माटी नाखै) आल्यौ...काडौ दो रिपिया।
गांववासी : ऐ ले दो रिपिया..सोनै जिस्या खरा।
भोला : ठीक है भाईजी, राम-राम मानता रैया।
गांववासी : राम-राम भाया, राम-राम।

(चौथौदरसाव)
शिव : (एक चूंतरै माथै बैठ्यौ है। माटी सूं भर्यौड़ी बालटी पण चूंतरै माथै मेल राखी है। बौंकीं सोण लागैरयौ है। सोचतौ-सौचतौ अचाणकोई बौ राजी होर उछलै) हां ईयां ठीक रैसी। पैली तो एक रेडी किरायै माथै ले ल्यूंगा। पछै बीं माथै माटी री कई ढेर्यां बणार बा मांय भांत-भांत रा सूका रंग मिला देसूं। अर बां ढेर्यां माथै कई जिग्यां रै नांवां री परच्यां भी लगा द्युगा ) (राजी हो'र) पछै बिकसी माटी आपरै मोल (हलकी भूरी मूंछ्यां रै बंट दे'र) शिवगणेश आज तन्नै भी आपरी चतराई दिकाण रौ मौकौ मिल्यौ है...तो होल्जाय त्यार अर बाजी मार।

(पांचवौंदरसाव)
शिव : माटी ले ल्यौ माटी ! भौत ई अनमोल माटी है...आ मथुरा री माटी है...जठै भगवान श्रीकृष्णजी खेलता हा..भौत ई शुद्ध अर अनमोल माटी है। आ माटी आपरै पलिड़ै मांय राखौ अर चायै घर रै पूजा। घर मांय राघौ। घर मांय लिछमी आ सी। घर मांय स्यांती रैसी। मोलकौ धन होसी..भौत अनमोल माटी है। आ अयोध्या री माटी है..जठै भगवान राम बालपणै मांय गुडालियां चालता अर खेलता रहा। आ हरद्वार री माटी है। आ कुरुक्षेत्र री माटी है, जठै कोरु-पांडु रौ जुद्ध होयौ। भाइयौ अर भैणौं, म्हारै कन्नै भौत ई थोड़ी माटी बंची है।

लुटा दियौ माल। ेक रिपियै री एक तोलौ। माटी ले ल्यौ माटी। रिपियै तोलै मांय लुटा दियौ माल। मथुरा री माटी ले ल्यौ। अयोध्या री माटी ले ल्यौ। रिपियै तोलौ...रिपियै तोलौ !
गांववासी : दो रिपियां री माटी देइयौ भाईजी।
शिव : आ ल्यौ। मथुरा अर अयोध्या री एक-एक तोलौ माटी।
दूजौवासी : एक रिपियै री मन्नै देइयौ भाईजी, कुरुक्षेत्र री माटी।
शिव : ल्यौ जी।
तीजौवासी : पांच रिपियां री करद्यौ। एक-एक तोलौ सगली।
शिव : देवां जी.....देवां। थोड़ो धीरज राखौ...ल्यौ जी।
चौथौवासी : दो रिपियां री मन्नै देइयौ भाईजी।
शिव : ल्यौ जी।
पांचवौंवासी : मन्नै बीस रिपियां री दे द्यौ। भाई। च्यार-च्यार तोला दे द्यौ। सगलै भांत री माटी।
शिव : अबैई देऊं। ढंग सूं तोलण द्यौ। ईंयां धक्का-मुक्की नां करौ भई।
छठौवासी : भाईजी पांच रिपियां री मन्नैई देइयौ।
शिव : देऊं भाईजी...ल्यौ भाईजी...।
सातवौंवासी : भाईजी, मन्नै पै'ली देईयौ। टकै देइयौ। माटी तो खतम होवण आली है।
शिव : ल्यौ भाईजी।
थोड़सीक ताल मांय शिवगणेश री सगली माटी बिकगी। बौ काम निपटा र भोला शंकर सूं मिलण खातर भगतसिंघ चौक कानी चाल पड़ै।

(छठौदरसाव)
शिवगणेश भगतसिंघ चौक माथै पूगग्यौ। बण देख्यौ के भोलाशंकर चौक माथै बैठ्यौ मूंफली खावण लागरैयौ है।

शिव : भोलाशंकर !
भोला : आ भई शिवगणेश !
शिव : महाराज रै दरबार मांय चालां ?
भोला : (खड्यौ हो'र) हां चालौ...माटी बेचियायौ ?
शिव : हूं।
भोला : कित्तै री बेची ?
शिव : पैली दरबार मांय चालां. मोड़ौ होवण लागरैयौ। बठैई दरस्यां सगली बातां।
भोला : हां तो चाल भई।
शिवगणेश अर भोलाशंकर दोनूं भाई महाराज रै दरबार कानीं चाल पड़ै।

(सातवाँंदरसाव)
महाराज री दरबार लागरैयौ है। शिवगणेश अर भोलाशंकर दरबार मांय पूगै।
शिवा-भोला : (ऐका साथै) महाराज री...जै हो...!
महाराज : आऔ जवानों।
शिव : म्हे माटी बेचियाया महाराज !
भोला : (चोड़ौ हाोर आंगली सूं अंगठूे नै मिलार इसारौ करतां थकां) म्हूं तो दो रिपिया मांच बेचर आयौ हूं महाराज।
महाराज : अर शिव थूं ?
शिव : म्हूं तो...
भोला : (बीच मांय बोलै) ओ तो बातां बघारै। ओ के बेचै हो! ल्याऔ होसी ओणां-पोणां !
शिव : (मुलक'र) म्हूं तो बात ई बेच'र आयौ हूं। बघारी कोनी।
महाराज : (अंचभौ कर'र) बात बेच'र आयौ है !
शिव : हां महाराज, बात राई दाम मिलै। माटी नै माटी कर'र कुण लेवै ! बात मायं दम होवै तो माटी रा ई मोकला दाम मिलै।
महाराज : (झुंझला'र) सावल बात, के कर'र आयौ है ? बातां सूं पार कोनी पड़ै ! अर जे फेल है, तो बता ?

शिव : फेल कोनी होयौ हुकम, पांच सौ पच्चीस रिपियां मांय बेच'र आयौ हूं बा माटी। माटी तो माटी ही पण बात री पुट सूं सोनौ बणगी।
भोला : (अचंभौ कर'र) पांच सौ पच्चीस मांय ! आ कियां बेची भायड़ा!
शिव : (मुलक'र) म्हैं थारलै दांईं माटी-माटी रा हेला कोनी मार्या ! म्हैं माटी रा गुण बताया। माटी री पवितरता बताई अर बिकगी हाथोहाथ। लोग लेग्या अयोध्या, मथुरा, हरद्वारा अर कुरुक्षेत्र री माटी जाण'र।
मंत्री : महाराज, शिवगणएश पांचवीं तांईं पढ्यौड़ौ है। इण परीक्ष मांय आ पढाई है रै काम आयगी महाराज। (महाराज नै रिपिया देंवतां थकां) हुकम आपरी चतराई सूं अण इत्ता रिपिया कमा लिया। कमाल है महाराज !

महाराज : हूं।
मंत्री : तो आनैं अब कांई इग्या है हुकम ?
महाराज : मंत्रीजी, शिवगणेश नै आपणै दरबार मांय शिक्षा मंत्री रै हौदै माथै काम सूंपदयौ।
मंत्री : हुकम...अर भोलाशंकर नै महाराज ?
महाराज : भोलाशंकर नै आपणै लाल मै'ल रै द्वारपाल रौ काम सूंपद्यौ मंत्री जी।
मंत्री : जी महाराज।
महाराज : थे दोनूं जणां आज सूं ईं आप-आप रौ काम संभालौ।
शिव-भोला : (ऐका साथै) जो इग्या महाराज (पछै दोनूं जणां ऐकै साथै नारा लगावै) महाराज री...जै हो!

मंत्री : (नारौ लगावै) महाराज री...
एकै साथै : जै हौ!!
मंत्री : (नारौ लगावै) महाराज री....
ऐका साथै : जै हो!!!


4.बावली बस्ती

नाटकराभागीदार-
(9-13 सालतांईं रा इग्यारा टाबर)
बावली बस्ती नांव रै एक बास मांय बाला'ई-बावला रै'वता) आओ थानै बठै ले चालां अर बा'रै बावलपणै रा कीं दरसाव दिखांवां।
(पैलौदरसाव)
दो बावला आमी-सामी सूं आवै। एक बावलै रै खांधै माथै एक झोलौ है।
पैलौ : (दूजै सूं) भाई जी सुणौ के ?
दूजौ : (हथघड़ी कानी देख'र) सात बजग्या।
पैलौ : म्हैं टैम कोनी पूछुं। म्हारै झोलै माय के चीज है, बता सकौ के ?
दूजौ : म्हारौ नांव हुस्यारीलाल है।
पैलो : म्हारौ नांव हुस्यारीलाल है।
पैलौ : म्हैं पूछुं, म्हारै झोलै मांय के चीज है ?
दूजौ : बापजी रौ नांव इतवारी लाल है।
पैलौ : म्हैं पूछुं.....
दूजौ : बोलौ हूं। जोर सूं बोलौ।
पैलौ : जय माता दी !
दूजौ : मन्नै ऊंचो सुणै !
पैलौ : (कान कन्नै मु'डौ ले ज्यार जोर सूं बोलै) म्हारै झोलै मांय के चीज है, जे बताद्यौ तो आधा आम थारा।
दूजौ
: बताद्युं तो के द्यौगा ?
पैलौ : बदातियौ नीं, आधा आम थारा।
दूजौ : आधा आम मेरा.....तो ठीक है। कोई आइडियौ दे।
पेलौ : बारै सूं पीला अर भीतर सूं भी पीला।
दूजौ : (थोड़ौ सोच'र) काकड़ियै मांय केलौ।
पैलौ : गलत ! म्हारै झोलै मांय तो आम है।
दूजौ : कीं और पूछौ।
पैलौ : अर जे बताद्यौ कित्ता है ? तो बीसूं रा बीसूं आम थारा।
दूजौ : (सोच'र) भई, गिण्यां बिना किंयां बेरौ लागै। म्हैं कोई भगवान थोड़ौ'ई हूं।
(दोनूं उलटी दिसावां मांय चल्या जावै)

(दूजौदरसाव)
एक बावलौ एक भींत माथै खूंटी ठोकण लागर्यौ है। जद'ई दूजौ बावलौ आवै। दोनूं एक दूजै नै देखै।
पैलौ : आ रै भाई किंयां आयौ ?
दूजौ : म्हूं तो पैदल'ई आयौ हूं। तूं के करै ?
पैलौ : भींत मांट खूंटी ठोकूं। देख-दिखाण।
दूजौ : (देख'र हांसै) तूं कित्तौ बावलौ है। खूंटी री टोपी भींत कोनी अर तीखी चूं माथै हथौड़ी मारै !
पैलौ : फेर...थूं लगा दिखाण।

दूजौ : (एक हाथ मांय हथौड़ी ले'र दूजै हाथ सूं खूंटी नै होलै सी पकड़ै अर बी'नै सा'मली भींत माथै ठोकद्यै।) आ देख आ मेख तो इण भींत री ही। हथौड़ी रीएक चोट सूंई ठुकगी।
(जद'ई तीजौ बावलौ आवै)
तीजौ : (दोनां सूं) आपरी भींत मांय थे जकी खूंटी ठोकी है, बा' म्हारै कमरै री भींत मांय आयगी। थारी इग्या होवै तो म्हूं बी' माथै आपरी कमीज टांग ल्यूं ?
पैलौ : टांग ले पण ध्यान राखी, कमीज टूटण आली नीं होवणी चा'इजै।
तीजौ : टूटण आली किंयां ?
पैलौ : म्है आपरी खूंटी कदै'ई पाछी खींच सकां।
तीजौ : (जांवतौ-जांवतौ) फेर तो कोनी टांगूं।
(तीजौदरसाव)
तीन बावला एक तलाब रै किनारै बैठ्या है।
पैलौ : तलाब मांय जे आग लागज्यै तो ऐ मछल्यां कठीनै जावै ?
दूजौ : मछल्यां के..आं रूंखामाथै चढ ज्यैगी...और कठीनै ज्येगी।
तीजौ : रूंखा माथै चढ ज्यैगी, कोई गा-भैंस थोड़े'ई हैं। (जद'ई तीनूं बावांल देख्यौ कै बां जिस्यौई एक जणौ गधै माथै बैठ्यो आवण लागर्यौ है। बण कपड़ै-लत्ते री एक मोटी सारी पाण्ड आपरै सिर माथै उठा राखी है।)
पैलौ : अरै भाया, शूं खूद गधै माथै बैठ्यौ है अर आ इत्ती बडी पाण्ड तैं आपरै सिर माथै ऊंच राखी है। ईंयां किंयां ?
चौथौ : गधौ बीमार है। सारौ भार इण अणबोल जिनावर माथै राखणौ चोखी बात कोनी।
पैलौ : आ' तो भई तेरी स्याणप है। जीव रै मार्थ दया तो करणी ई चा'इजै !

(चौथौदरसाव)
पड़चून री एक दुकान है। दुकान माथै बावलौ दुकानदार बैठ्यौ एक-एक चीणौ चाबतौ टैम पास करै। बीं घड़ी एक बावलौ ग्राहक आवै।
गाह्क : भाईजी, एक लीटर गुड़ देइयौ !
दुकानदार : वार रै वां ! तन्नै ग्राहक कण बणा दियौ ? चीज खरीदणी ई कोनी आवै !
गाह्क : तो भाईजी किंयां खरीद्यां करै ?
दुकानदार : थूं ईंया कर..थूं एक र दुकानदार बण अर म्हैं ग्राहक बणूं. पछै तन्नै पतौ लागसी कै चीज कियां खरीदीजै।
गाह्क : ठीक है भाईजी।
(पछै ग्राहक दुकानदार बणै अर दुकानदार ग्राहक बणज्यै।)
गाह्क : भाईजी राम-राम।
दुकानदार :राम-राम
गाह्क : गुड़ है के ?
दुकानदार : है, कित्तै लेवणौ है ?
गाह्क : एक किलौ देद्यौ।
दुकानदार : बोतल ल्यायौ है के ?
(पड़दौ पसरै)

5.तूं कांई बणसी

एकांकी का भागीदार
(नौ स्यूं ले'र पन्द्रा सालतांई रा टाबर)
एक : गुरुजी :पूनमचंद
छै : पढणियां टाबर : मोहन, किरसन, रामेसर, ओम, महाबीर अर बिनोद
मंच रै समाणै पड़दै माथै इस्कूल रै नांव रौ बोरड़ लागर्यौ है। मंच माथै एक कुर्सी राख्यौड़ी है अर बी रै सामणै दरी माथै बांच बस्ता पड्‌या है। कुर्सी रै डावै पासै स्टैण्ड माथै एक ब्लैक बोरड़ लाग राख्यौ है जिण माथै कक्षा-7 लिख्योड़ो है। पांच टाबर इण कक्षा मांय रोला करता भाज'र आवै अर बैठ'र आप-आपरा बस्तां नै ठीक करै।

मोहन : (बस्तै स्यूं किताब काडता थका) किरसनियां, आज तो पराथनां मांय मजौ'ई आग्यौ रै!
किरसन : (कमीज री बा'यां चडांवतां थकां) हां यार, मन्नै भी मजौ आयौ। ऐ'नूवां गुरजी आया ही नीं, आ बातां तो बड़ी जोरदार बताई है रै!
मोहन : (अचंभौ कर'र) आपां यार किरसन, टीवी तो रोजिनां ई देखां, पण आपां औ' कदी सोच्यौ ई कोनी कै अंगरेजी रै सबद न्यू रौ अरथ त्तिौ गै'रौ हो सकै!

किरसन : कमाल है यार! आं' गुरजी नै इसी बातां ठा नीं कुण बतावै!
मोहन : बतावै कुण है, इन्नै-बीन्नै पढता रै'वै बस।
ओम : हां रै किरसनियां, न्यूज सबद रौ अंगेरजी मांय अरथ किस्यौ'क बतायौ है रै गुरजी। कमाल है यार!
किरसन : बेटी च्यारूं दिस आ'गी.......पूरब, पश्चिम, उत्तर अर दक्छिण हनी!
: हां रै....एन ई डब्ल्यू एस रौ बेटौ पूरौ अरथ नोरथ, इस्ट, वेस्ट अर साउथ...बिल्कुल स'ई बण्यौ है रै!
किरसन : गुरजी बात तो तकड़ी बताई है यार।

मोहन : इणरौ मतलब भासा चायै कोई होवै, हरेक सबद रौ आपौर अरथ जरुर होवै।
ओम : स'ई बात है।
रामेसर : (कक्षा मांय भाज'र आवै अर बैठतो-बैठतौ मु'डै माथै आंगली राख'र दब्यौड़ी अवाज मांय) चुप हो ज्यावौ सगला...नुंवौड़ा गुरजी आपणी कक्षा माय ई आवै।
(सगला टाबर चुप हो ज्यावै अर एक कानी देखता रै'वै जठै स्यूं गुरुजी आवण आला है। कक्षा मांय गुरुजी आवै। सगला टाबर खड्या होवै। गुरुजी रै गुरीज जिस्या गाभा। आंख्यां पर पावर आलौ चस्मौ। डावै हाथ मांय हाजरी रजिस्टर)

गुरुजी : (इन्नै-उन्नै देख'र कुर्सी माथै बैठता थकां टाबरां नै सज्जै हाथ स्यूं बैठण रौ इसारौ करै) बैठो। (सगला टाबर बैठज्यै अर आप-आपरै बस्तां न एकर ओरूं ठीक करै। गुरुजी आपरौ चस्मौ ठीक करता थका) इण सातवी कक्षा मांय मांय कित्ता टाबर है भई ?
सगला : (एक साथै) छै है जी।
गुरुजी : (अचंभौ कर'र मोहन कानी देखेै) पूरी कक्षा मांय छै'ई टाबर है।
मोहन : (खड्यौ हो'र) हांजी ।
गुरुजी : (सज्झै हाथ स्यूं मोहन नै बैठणै री इसारौ करै) पण अभी तो पांच 'ई है।
मोहन : (खड्यो हो'र) गुरजी, महाबीरियो रोजिना ई मोड़ौ आवै जी। (बैठतो-बैठतो) औ आग्यो जी।
महाबीर : (कक्षा मांय आवै अर डावै हाथ नै आगै बढा'र) गुरुजी कक्षा मांय आऊंजी ?

गुरुजी : (मुलक'र) कक्षा मांय तो आ 'ईग्यो.....अबै पूछै कांई है ! (छौरा हंसै) आ है
(महाबीर बस्तौ राखै) मोड़ौ कियां कर्यौ रै महाबीर ?
गुरुजी : गुरजी, मैं तो रोज ई मोड़ौ आऊंजी। (सगला छोरां हांसै)
गुरुजी : क्यूं भई....रोज ई मोड़ौ क्यूं आवै ?
महाबीर : गुरजी, म्हूं ढाणी स्यूं आवूं जी।

गुरुजी : भई ढाणी स्यूं आवै...तो टैम स्यूं थोड़ौ पै'ली चाल ज्याया कर। बैठ अबै टैम स्यूं आई भलौ।
महाबीर :(बैठतौ-बैठतो) चंगा जी।
मोहन : (खड्यौ हो'र) हाजरी रजिस्टर ल्याऊं गुरजी ?
गुरुजी : (हाजरी रजिस्टर आपरै गोडां माथै राखै) हाजरी रजिस्टर तो म्हूं लियायौ भई।
मोहन : (आपरी जेब मांय हाथ घाल'र) पैन देऊं जी ?
गुरुजी : (आपरी जेब स्यूं पैन काडै) नां......पैन तो म्हूं चौबीसा घण्टा कन्नैई राखूं भाया। बिंयां भी फौजी रै कन्नै, बी'री आपरी'ई बंदूक होवणी चा 'इजै तूं बैठ।
(महोन बैठज्यै अर आपरै संगलियां कानी देख'र थोड़ौसौक मुलकै। गुरुजी हाजरी लेवै। हाजरी होवंतांई गुरुजी रजिस्टर बंद करै)
मोहन : (खड्यौ हो'र) रजिस्टर राखियाऊं जी ?
गुरुजी : नां....म्हूं जांवतौ ले ज्यास्यूं....तूं बैठ। (मोहन बैठज्यै) हां भई, हाजरी होगी...अबै ईयां करौ...थे मन्नै बारी-बारी स्यूं आपरौ नांव बताओ। (मोहन कानी देख'र) थारौ कांई नांव है ? मोहन है कांईं ?
मोहन : हां जी, मोहनलाल है जी।
(सगला टाबर बारीबंट खड्या हो'र आप-आपरौ नांव बतावै अर बैठता जावै)
किरसन : (बैठ्यो-बैठ्यो थोड़ौ मुलक'र) गुरजी, अज्जेतांई थे थारौ नांव तो कोनी बतायौ जी।
गुरुजी : मरौ नांव....मेरौ नांव पूनचमंद है भई।

महाबीर: (बैठ्यौ-बैठ्यौ) गुरजी, थे म्हानै के पढाया करस्यौ जी ?
गुरुजी : म्हूं थानै राजस्थानी पढाया कर स्यूं।
मोहन: (बैठ्यो'ई) गुरुजी, थे कित्ता पढेड़ा हो जी ?
गुरुजी : बी.ए. तांई।
किरसन : बी.एक कित्ती कलासां होवै गुरजी ?
गुरुजी : पन्द्रा सालतांई लगोतार पढणै रै पछै बी.ए. री डिग्री मिलै।
किरसन : गुरजी, डिगरी कांई होवै जी ?
गुरुजी : होलै-होलै थानै सगली बातां बतास्यूं। पण आज पै'लै दिन म्हूं थां सगलां नै थारै मन री बात पूछणो चा'वूं...कै पढ'र थे कांई बणस्यो ? सगलां स्यूं बारीबंट पूछस्यूं। बताओगा नी ?
सगला : (एक साथै रोजी हो'र) हां जी।
रामेसर : (खड्यौ हो'र नीची न ैदेखै अर सज्जै हाथ स्यूं डावै हाथ री आंगल्यां रा कटाका काड़तौ-काडतौ) म्हूं तो अभी कीं सोच्यौ ई कोनी गुरजी।
गुरुजी : (मुलक'र) लै'भई, मु'रत ई गलत होग्यौ. तूं बता भई बिनोद, पढ'र तूं कोई बणनौ चा'वै ?
बिनोद : (खड्यौ होटर मुलकतौ-मुलकतौ) म्हूं गुरजी....म्हूं है नी...म्हू गुरजी मास्टर बणनौ चा'वूं जी।
गुरुजी : आ'तो भौत ्‌च्ची बात है। मास्टर जी बण'र टाबरां नै ग्यान री चोखी-चोखी बातां बताया कर सी। क्यूं आ इज बात है नी ?
बिनोद : नां गुरजी।
गुरुजी : तो रै ?

बिनोद : (मुलक'र) गुरजी, मास्टरां रै तो मोज'ई मौज होवै जी।
गुरुजी : (मुलक'र) मौज कियां रै ?
बिनोद : (मुलक'र) जियां कोई छोरौ दूध ल्याद्यै...कोई साग ल्याद्यै...कोई गाभा धोद्यै...अर गुरजी, कोई छोरौ जे काम नी करै नीं...तो मार-मार'र डण्डा...बी'रा सल काड द्यै सारा। (सगला टाबर हांसै)
गुरुजी : टाबरां नै मारणौ-कूटणौ तो भौत माड़ी बात है भई बिनोद।
बिनोद : (मुलक'र) मार्यां-कूट्यां बिनां ऐ टीगर ताबै 'ई कोनी आवै जी।
गुरुजी : टाबरां स्यूं मारकाटूी नीं करणी चा'ईजै। मार नाऊं, प्यार बड़ौ होवै। जिको इै समझल्यै, बौ'जुग जीत सकै। समझ्यौ कांई ? बैठ (बिनोद इन्नै-उन्नै देख'र बैठज्यै) ओमप्रकाश, अबै तूं बता भई, कै पढ'र तूं कांईं बणनौ चा वै ?
ओम : (खड्यौ हो'र) म्हूं गुरजी!.....पढ'र अफसर बणनौ चावूं जी।
गुरुजी : भौत बढिया भई। थारा पिताजी कांई ंकाम करै रै ?
ओम : मेरा पिताजी....बै' गुरजी....मण्डी मांय अखबार बांटै जी।
गुरुजी : तूं अखबार पढ्या करै कांई ?
ओम : हां गुरजी, पढूजी। मेरा पिताजी मण्डी मांय अखबार बांट'र आंवता थकां एक अखबार साथै ल्यावै जी।
गुरुजी : भौत बढिया भई। बैठ। (ओम बैठज्यै) अखबार पढणौ चा'इजै। ई स्यूं पूरी दुनियां री जाणकारी घरे बैठ्यां ई मिलज्यै। मन्नै पराथनां मांय ई पतौ लाग्यौ हो कै आजकल इस्कूल मांय अखबार कोनी आवै।
मोहन : (बैठ्यौ-बैठ्यौ'ई) गुरजी, इस्कूल मायं अखबार तो कदी कोनी देख्यौ जी।
ओम : (बैठ्यो'ई) गुरजी, पै'ली इस्कूल मांय अखबारी आवतौ हो जी।
मोहन : (बैठ्यौ'ई ओम कानी देख'र) कद आवतौ रै ?
ओम : गुरजी, पै'ली है नीं, इस्कूल रौ अखबार है नीं...मोटौड़ा गुरजी आपरै घरां मंगावता जी।

गुरुजी : चलो कोई बात नीं...का'ल स्यूं आपणै इस्कूल मांय अखबार मंगाणौ सरु करस्या। अर थां सगलां नै रोजिना नूंई-नंईं बातां बताया करस्यां। ठीक है नीं ?
सगला : (एक साथे) हां जी।
गुरुजी : (महाबीर कानी हाथ कर'र) तेरौ नांव महाबीर है नीं ?
महाबीर (खड्यौ हो'र) हां गुरजी।
गुरुजी : तो महाबीर, तूं आ'बता, कै पढ़'र तूं कांई बणसी ?
महाबीर : (मुलक'र) म्हूं गुरजी ? (नीच अर इन्नै-उन्नै देख'र) म्हूं गुरजी, म्हूं है नीं....के नाम रै...म्हूं नीं गुरजी, डाकघर बणनौ चावूं जी!
गुरुजी : भौत अच्छे !....थारा पिताजी कांईं काम करै रै ?
महाबीर : बै'के....पिताजी है नीं....के नाम रै...पिताजी है नीं....गुरजी बै'है नी...के नाम रै...बै'....बै'मण्डी है नीं गुरजी....बै' कलैक्टर ऑफिस मांय बडा बाबू है जी।
गुरुजी : अच्छया....अछ्या...भौत आछ्ची बात है भई महाबीर...इस्कूल री छुट्टी होय पछै घरां कित्तौ'क पढै रै तूं ?

महाबीर : घरां जी ? के नाम रै....घरां के....गुरजी...(नीचै नै ढूंड घाल'र) घरां तो कोनी पढूं जी !
गुरुजी : भाया, डाकध बणनौ है तो सरु स्यूं'ई मे नत करणी पड़ैगी। बिना पढ्या ंडाकधर बणनौ तो दूर...आ' सातवी जमात'ई पास नीं कर सकैलो बैठ। (महाबीर इन्नै-उन्नै देख'र बैठज्यै)
रामेसर : (बैठ्यो-बैठ्यो ई) गुरुजी, महाबीरियौ सारै दिन तो खेलतौ रै वै जी।
गुरुजी : खेलणौ भी जरुरी है पण इत्तौ नीं खेलणौ....जिण स्यूं पढाई रौ हरज होवै। पढण री आदत तो बियां अब स्यूं ई घाल लेणी चा'इजै। क्यूं कै जमानौ कम्पीटीसन रौ है।....हां तूं मोहन, तूं कांईं बणैगौ रै ?
मोहन : (खड्यौ हो'र) म्हूं गुरुजी, मिनख बणनौ चा'वूं जी। (मोहन री बात सुण'र टाबर जोर-जोर स्यूं हांसै)
रामसेर : (बैठ्यो-बैठ्यो'ई हांसतौ-हांसतौ आपरै संगलियै मोहन कानी हाथ कर'र) गुरजी, मोहनियौ डांगर तो कोन,ी जिकौ कै वै कै मिनख बणस्यूं। (रामेसर जोर-जोर स्यूं हांसै)
गुरुजी : (मुलकता सा धमकावै) सगला जणा चुप हो ज्यावौ ! (थोड़ी-भौत खुसर-फुसर अर बीच मांय टाबरां री दब्यौड़ी हांसी) क्यूं रामेसर, तूं ईंय.ां बेतरियां राफां क्यूं खिंडावै रै ?
रामसेर : (बैठ्यो ई हांसतौ-हांसतौ) गुरजी, मन्नै तो मोहनियै री बात माथै हांसी आवै जी !
गुरुजी : इण मायं हांसी आली कांईं बात है ? (टाबरां री खुसर-फुसर चालती रै'वै)
रामसेर : (हांसतौ-हांसतौ) गुरजी, औ' को'वै नीं कै म्हूं मिनख बणस्यूं !
गुरुजी : तो फेर ?
रामसेर : (हांस'र) मोहनियौ, गुरुजी....मिनख 'ई तो है जी...डांगर तो कोनी, जिकौ कै वै कै मिनख बणस्यूं !
गुरुजी : आ' हांसी आली बात कोनी लाडी। मोहन भौत गै'री बात कै'ई है। सगला टाबर ध्यान स्यूं सुणौ...कै आपरै संगलियां रौ नांव बिगाड़'र नीं बोलणौ है। ठीक ही नीं ?
सगला : (एक साथै) ठीक है जी।
गुरुजी : क्यूं रामेसर, समझ्यौ कांईं ?
रामसेर : (नीची नै ढूंड घाल'र मुलकतौ सो) समझग्यौ जी।
गुरुजी : तूं बैठ। (रामेसर बैठज्यै अर मोहन कानी टेडौ-टेडौ देख'र संगलियां रै साथै मुलकै) हां तो मोहन, अबै तूं तेरै संगलियां नै आ'बतां कै तूं मनिख कियां बणसी ?

मोहन : गुरजी, बिंयां तो आपां सगलाई मिनख हां, पण मन स्यूं मिनख होवणौ भौत बड़ी बात है जी। म्हूं मन स्यूं मिनख बणनौ चावूं जी।
गुरुजी : भौत आच्छी बात है। तूं इसी बात कठैऊं सिखै रै मोहन ?
मोहन : गुरजी, मेरा पिताजी बताया करै जी। बै'कै' या करै कै, मिनख री जूण मांय जनम लेवणै स्यूं कोई मिनख नीं होवै। मिनख तो बौ' होवै जिकै रै मांय मिनखपणौ होवै।
गुरुजी : (खड्या हो'र मोहन रै कांधै माथै थपकी दे'र स्याबासी देवै) वा भाया, मोहन....वा' भौत अच्छे!
मोहन : (रामसेर कानी देख'र) गुरजी, मेरा पिताजी कै'या करै कै जिकौ मिनख, मन स्यूं मिनख होवै नीं, बीं रै मांय परमे, मेलजोल, सै योग अर दया री भावना भी घणी ई होवै जी।
गुरुजी : (कुर्सी माथै बैठता थकां) वां भाई मोहन, तैं तो आज आंख्यां ई खोल दी रै...(मोहन कानी इसारौ करै) बैठ। (मोहन बैठज्यै) म्हूं सोच'ई नीं सकै हो...कै इण छोटै सै गांव रै छोटै सै इस्कूल मायं इत्ती बडी बात कै'वणियों कोई मिल ज्यासी।
मोहन : (बैठ्यो-बैठ्यो) गुरजी, थे सारी बातां जाणौ नीं, ईं कराण थानै म्हारी ऐ' बातां बडी लागै जी।
रामेसर : (मुलक'र) गुरजी, मोहनियौ रोजिना इसी बतां करै नीं, जदी तो ए नै अठै सगला बावलियौ कै वै जी। (सगला टाबर हांस अर खुसर-फुसर करै।)
गुरुजी : (धमका'र) सगला स्यांती स्यूं बैठो। ईं'या कीं'रीं मजाक नीं उडाया करै। (टाबर चूप हो ज्यावै) थारा पिताजी कांईं करै रै मोहन ?
मोहन : (खड्यो हो'र) बै गुरजी, हड़मानगढ़ मांय छोरियां रै इस्कूल मांय लाइब्रेरियन है जी।

गुरुजी : थारा पिताजी, कां णयां री, किताबा ंल्यावै कांईं थारै खातर ?
मोहन : हां गुरुजी, ल्यावै जी। किताबां तो म्हूं पढतौ ई रै वूं जी।
किरसन : (बैठ्यौ'ई) गुरुजी, मोहनियौ का'ण्यां भी लिखै जी।
गुरुजी : क्यूं किरसन, तन्नै याद कोनी रै वै कांई कै कि रोई छोटौ नांव नीं लेवणौ है।
किरसन : (होलै सौ) गुरजी, भूलग्यौ जी।
गुरुजी : तूं का'ण्यां भी लिखै रै मोहन ?
मोहन :( संकतौ-संकतौ नीची नै देख'र) हा ंगुरजी, कदी-कदी लिखूं जी।
गुरुजी : थारी लिख्यौड़ी का'ण्यां का'ल ले'र आई भलौ।
महोन : चंगा जी।
गुरुजी : बैठ ! (मोहन बैठज्यै) अर तूं किरसन...तूं कांई बणनाौ चा' वै रै ?
किरसन : (खड्यौ हो'र मुलकतौ-मुलकतौ) म्हूं गुरजी...म्हूं गुरुजी, नेता बणनौ चा'वूं जी।
गुरुजी : आ'तो भौत बढिया बात है, तन्नै जे धांसू नेता बणनौ है नीं, तो खूब जम'र पढाई कर्या कर।
किरसन : पण गुरुजी, मेरा बापू जी तो कै वै कै नेता बणन खातर पढणौ जरुरी कोनी। बस भासण देवणौ आणौ चा'इजै।

गुरुजी : ढंग स्यूं पढ्यां बिना ढंग रौ भासण किंयां देसी लाडी ?
रामेसर : (बैठ्यौ-बैठ्यौ ई मुलक'र) गुरजी, किरसन है नीं, औ भासण भौत बढिया देवै जी!
गुरुजी : है रै किरसन ?
किरसन : (संकतौ सो मुलक'र) नही ंजी।
गुरुजी : थारा बापू जी कांईं करै रै ?
किरसन : गुरजी, बै'तो सरपंच है जी।
गुरुजी : (मुलक'र) सरपंच रौ बेटौ हो'j सकौ क्यूं करैौ रै ?
रामसेर : (मुलक'र) गुरजी, औ संकौ तो थारै सामऐ ई करै जी ?
गुरुजी : है'रै किरसन ?
किरसन : (संकतौ सो) नां जी !
गुरुजी : तो कांईं बात है...भासण सुणावै कोनी ?
किरसन : अभी तो गुरजी, मन्नै याद ई कोनी जी !
रामेसर : नहीं गुरजी, म्हनै औ घमी ई बार सुणावै जी।
गुरुजी : क्यूं रै छोरौ...किरसन थारै भासण सुणाया करै नीं ?
सगल : (एक साथै) हां जी।
मोहन : (बैठ्यौ-बैठ्यो ई) गुरजी, कदी खाली घण्टौ होवै नीं, जद औ इत्तौ जोरदार भासण सुणावै...कै सगलां नै भजौ आज्यै जी।
गुरुजी : देख भई किरसन, अबै तो तन्नै भासण सुणाणौ ई पड़सी!
किरसन : का'ल सुणाद्यूंगा जी।
गुरुजी : (मुलक'र) नहीं...सुणाणौ तो अभी पड़सी...नेता बणणौ चा'वै अर इत्तो सकै! इन्नै आ मेरै कन्नै। (किरसन गुरुजी कन्नै जावै। गुरुजी बी'रै कांधै माथै थपकी दे'र स्याबासी देवंता-देंवता) सुण...सुणा कोई बढिया सो भासण।
किरसन : गुरजी, अभी तो मन्नै दो-च्यार लेणां ई आवै जी।
गुरुजी : चल, दो-च्यार लेणां ई सुणा दे।
किरसन: (मुलक'र) सुणाद्यूं जी।
गुरुजी : (मुलक'र) हां सुणा भई!
किरसन : (गलौ खंखार'र) भाईयौ अर भैणौं (रामसेर, चिग्यां कढावै तो किरसन मुलक'र) गुरजी, मन्नै औ रामेसरियौ हंसावै जी।

गुरुजी : (धमकावै) रामेसरऽऽऽऽ। (किरसन कानी देख'र) हां सुणा अबै।
किरसन: (गलौ फेरुं खंखारै) भाइयौ अर भैणौं, आपणौ देस....आपणौ दे अमीर देस है जिण मांय आपां गरीब लोग बसां। आपा गरीब क्यूं हां ? ई'रौ मलू कारण है...ऐ आपां आलसी भौत हां। औ आलस एक दिन आपांनै खतम करद्यैगो। आज दिनुगै-दिनुगै'ई एक ऊंदरौ आलस कै कारण भाज नीं सक्यौ, इण कारण बीं नै बिल्ली खा गी। (टाबर मुलकै अर हांसै) एक आदमी आपरै आलस रै कारणै उठ्यौ ई नीं...इण कारण बौ 'सूत्यौ-सूत्यौ ई मरग्यौ। इण कारण जागौ। जै हिन्द।
गुरुजी : (ताली बजावै) भौैत बढिया ! भौत अच्छै। (सगला टाबर ताल्यां बजावै। जदी अचाणचकी 'टन्न' दणी-सी एक घण्टौ बाजै तो गुरुजी खड्या हो'र कक्षा स्यूं बारै जांवता-जावांत कै'वै) ठीक है...म्हूं चालूं...बाती बातां करस्यां।



1.कालू कागलो अर सिमली कमेड़ी

एक जंगल मांय घणा सारा पंछी रैह्वंता। पंछियां रो राजा मोर हो। मोर राजा आपरै फटाफट न्याव मांय दूर-दूर तांईं जाणीज्तो।
एक दिन तीस-चालीस पंछी मोर राजा रै कनै पूग्या अर कै वण लाग्या, म्हाराज, म्हारा आलणां कांईं ठा कुण तोड़ ज्यावै...पतो'ई नीं लागै।
मोर राजा बां'री सिमस्या सुण'र धीरज बंधायो अर पंछियां रा आलणां तोड़ण आलै नै चटकै'ई पकड़'र सजा देवण री बात कै'ई।
पंछियां नै आपरै राजा माथै पूरो भरोसो हो। बै आपरी सिमस्या बता'र आप-आपरै टूट्योड़ा आलणां कानीं उडग्या।
मोर राजा चिन्ता में पड़ग्यो। मोर राजा सोच्यो कै चिन्ता करणै स्यूं कीं फायदो नीं है। इण सिमस्या रो चटकै'ई हल निकालनो चईजै।
दिन ढलतांई जंगल मंत्री माणक कोचरै ने आपरै दरबार मांय बुला'र मोर राजा कै'यो, च्माणक मंत्री, तनै पतो होणों चइ'जै कै आपणै राज मांय तोड़-फोड़ होवण लागरी है।
च्कियां म्हाराज ?माणक पूछ्यो।
आपणै पंछिया रा आलणां कांईं ठा कुण तोड़ ज्यावै..बां'रो चटकै स्यूं चटकै पतो लगोवहैणा।
मंत्री माणक झुक'र बोल्यो, च्जियां थारी ईज्ञा। म्है आज'ई पतो लगा स्यूं महाराज।इतो कैह'र मंत्री माणक कोचर उडग्यो अर को सेक दूर एक पीपल रे रूख माथै जा'र बैठग्यो।
थोडसी'क ताल पाछै मंत्री णाणक एक कागलै नै उलटी-सीधी हरकत करतां देख्यो। बो बीं'रै कनै पुं' च्यो तो कागले मंत्री कोचर नै झुक'र कैह्यो, च्राम-राम माण्क भाया, और सुणा कांई हाल-चाल है ?
मंत्री माणक कोचर इचरज स्यूं पूछ्यो, च्हाल-चाल तो ठीक है, पण तनै मेरै नांव रो कींयां पतो लाग्यो !
ल्यो करल्यो बात..थारो नांव कुण कोनीं जाणै। थे तो राजा रा मंत्री हो।
तेरो कांई नाम है ? मंत्री माणक कोचर पूछ्यो। कागलो बोल्यो, च्मेरो नाम कालू है, पण लाड स्यूं लोग-बाग म्हनै कालियो कहवै।फेर कालू कागलै इनै-बिनै देख'र मंत्री माणक कोचर रै कान मांय होलैसी क कैह्यो, च्जिकै काम मोर राजा थानै भेज्यो है, बो काम म्हैं मिन्टां मांय कर सकूं।
पण तने किंयां पतो लाग्यो कै म्हैं कांईं काम आयो हूं! मंत्री माणक कोचरै ईचरज स्यूं पूछ्यो।
अरै भाया, तूं ठै'र्यो उल्लू..चल छोड..काम री बात जाणनो चा'रौ है तो सुण।
च्सुणा।कोचरै कान मांड्यो।

च्म्है बता तो देस्यू, पण मेरो नांव तूं कीनै'ईं नीं बतावैलो। आ मेरी सरत है।
च्मनै तेरी सरत मंजूर है कालू भीया। म्हैं तेरो नांव कीनै'ईं कोनी बताऊं। तूं चटकै-सी बता।
कालू कागलो होलैसी'क बोल्यो, च्ऐ सगला काम सिमली कमेडी रा है। बा मोको देखतांईं किंरो-न-किंरो आलणों रोजिना तोड़ दयै।
च्बा कठै रैह्वै ?मंत्री माणक कोचर पूछ्यो।
च्बीं'रो कांई ठिकाणों ! पण कदै-कदै बा आपणै परलै आंबा रै बाग मांय मिल्या करै। थे पतो करो।
मंत्री माणक राजी हो'र बोल्यो च्पतो कांईं करणों है। तूं झूट थोड़ो'इ बोलै। अच्छ्या भायला तेरो घणओं-घणों धिनवाद।
च्नो मेनसन यार।कहै'र कालू कागलो उडग्यो।
मंत्री माणक कोचर पीपल रै रूंख माथै पूरी रात सूत्यो रैह्यो। फेर दिनूगै सूरज उग्यां बो मोर राजा कनै पूग्यो अर छाती ताण'र बोल्यो, च्महाराज री जै हो..म्हैं पंछियां रा आलणां तोड़नै हालै बदमास रो पतो लगा लियो है म्हाराज।
च्आओ मंत्री जी बिराजो...मनै बताओ बो कुण है जिको मेरै होंवतां थकां जंगल मांय गुंडागरदी करै?मोर राजा बोल्यो।
च्म्हाराज, पंछियां रा आलणां तोड़नै रो काम आपणी रियासत री सिमली कमेड़ी रो है।
मंत्री माणक कोचर स्यूं बात कर'र मोर राजा सेनापति बाज नै हुकम दियो कै सिमली कमेड़ी नै पकड़'र दरबार मांय हाजर करै।

थोड़सी'क ताल पछै सेनापति सिमली कमेड़ी रा झिंटाझाल'र दरबार मांय ल्याओ।
सिमली कमेडी दरबार मांय मोर राजा रै साणै भोत गिड़गिड़ाई, पण मोर राजा बी'री एक नीं सुणी।
सिमली कमेड़ी री गिरफ्तारी रो आज पांचुवों दिन हो। बी'री गिरफ्तारी रै पछै जंगल मांय एक बी पंछी रो आलणओं नी टूट्यो। आ देख'र मोर राजा नै बिस्वास होग्यो कै ए सगला काम सिमली कमेड़ी रा'ई है।
छठै दिन दीनूगै पंछियां स्यूं डटाडट भर्योडी सभा मांय मोर राजा सिमली कमेड़ी नै सजा सुणांण हालो हो। मोर राजा रो भासण सरू होंवतांई सगली सभा मांय सरणाटौ छा ग्यो।
मोर राजा आपरै भासण मांय कै'यो है कै च्भाईयो अर भैनों, थे सगला जणांई सिमली कमेड़ी नै देखो. देखण मैं आ जिती सीधी लागै, मांय स्यूं बीती'ई टेडी है। आ रोजिना मोको मिलता'ईं आप लोगां रा आलणां तोड़ देंवती। अर थानै पतो'ई नीं चालतो। ईं री गिरफ्तारी रै बाद आं पांच दिनां मैं एक बी पंछी रो ओलमों नीं आयो। ईंस्यूं साफ पतो लागै कै ए सगला काम सिमली कमेड़ी रा ई हा। आज म्हैं इनैं फांसी तोड़नै रो हुकम देवूं।

सगला पंछी मोर राजा रो भासण सुण'र खुसियां मनाणै लाग्या। पण सिमली कमेड़ी जद आपरी मोत री सजा सुणी तो बी'रै सगलै डील मांय सरणाटौ सो बै'ग्यो। बचण रो बी'नै कोई मारग नीं दीख्यो।
बी'रै कनै इस्यो कोई सबूत'र ग्वाह बी नीं हो, जिकै माथै बा आपणै-आपनै निरदोस साबित करती।
सिमली कमेडी भगवान स्यूं अरदास करण लागी कै हे भगवान...मेरा परमात्मा..मेरा खुदा..मेरा इसामसी..मेरा परवरदिगार मनै

बचालै..मूरखां रै राज मांय एक निरदोस री हित्या हो'री है। मनै बचाले मेरा साचा बादसा।
च्सिमली कमेड़ी, म्हैं तनै मोत री सजा सुणा चुक्यो हूं। तूं मरणै स्यूं पैलां तेरी आखरी इच्छ्या बता?मोर राजा पूछ्यो।
सिमली कमेड़ी धूजण लाग्गी। बा बोली, च्म्हैं निरदोस हूं म्हराजा। म्हैं इस्यो कोई काम नीं कर्यो जिकै खातर थे म्हनै मोत री सजा देवौ!
च्म्हैं सफाई नीं सुणनो चा'ऊं म्हैं तेरी आखरी इच्छाय पूछूं।
सिमली कमेड़ी री आंख्या भरगी। अर बा भर्योड़ै गलै स्यूं बोली, च्म्हराज ! मेरी आखरी इच्छ्या आ है कै थे आइन्दा कोई निरदोन नै बिना कीं सबूत रै मोत री सजा नां दिज्यो।
च्जबान नै लगाम दे सिमली ! तूं मेरै फैसलै नैं चैलैंज करै। सेनापति, सिलमी कमेडी री नाड़ उडा दे।
मोर राजा रौ हुकम सुणतांई सेनापति तलवार उठाई अर सिमली कमेड़ी री नाड़ माथै मारणै लाग्यो तो अचाणचको'ई च्ठै'रो म्हाराजरी जोरदार अवाज सुण'र सेनापती रुक तो ग्यो, पण ई बीच सिमली कमेडी री नाड माथै तलावर लाग्गी। नाड़ स्यूं लो'ई री धार बैवण लाग्गी।
सभा रै सगलै पंछियां री निजर सिमली कमेड़ी स्यूं हट'र नूंवै पंछी कानीं उछगी।
च्कुण है तूं ?मोर राजा लालीपोल हो'र नूवैं पंछी नै ललकार्यो।

च्म्हैं निरभाग सिमली रो धणी हूं, महाराज ! म्हारो नांव भोलियौ है। सिमली निरदोस है, म्हराजा। इत्ता दिन म्हूं परदेस गयोड़ौ हो। थारो असली मुजरिम कालू कागलो है म्हाराज, मेरी बात जे झूटी निकलै तो थे म्हनै भलांई मोत री सजा दे दीज्यौ।
भोलू कमेड़ै री बात सुण'र राजा सेनापति नै हुकम दियौ कै फटाफट बीं बदमास कागलै नै ढूड़'र सामीं हाजर करो।

सगली सभा मांय खलबली मचगी। कालू कांगलो दड़ादड़ पंछइयां रा आलणां तौडण लागर्‌यो हो। सेनापति बीं'नै झापटो मार'र पंजां मैं दाब्यो अर पलक झपकतांईं मोर राजा रै दरबार मांय हाजर कर्यो।
कालू कागलो मोर राजा रै पगां मैं पड़'र गिड़गिड़ाण लाग्यो-च्म्हनै माफ करद्यो महाराज, हूं पापी हूं, इसी गलती हूं फेर कदै नीं करूंला।कालू कागलो को'जी तरियां रो'ण लागग्यो।
मोर राजा रो पारो सातूंवैं आसमा चडग्यो। मोर राजा बीं'नै ललकार्यो-तनै तेरै जुलम री सजा जरूर मिलसी। तूं गरीब पंछियां रा घर उजाड्या है, तेरै कातर तो मोत री सजा बी कम है।
आ कै'र मोर राजा सेनापति नै कागलै रो सिर कलम करऐ रो हुकम देणै स्यूं पै'लां भोलू कमेड़ै नै पूछ्यो- तूं बता भोलूं, ईं पापी नै कांईं सजा देवा ं?
भोलू कमेड़ौ हाथ जोड़'र बोल्यो-पापी नै मारणै स्यूं पाप नीं मरै म्हाराज। सो म्हारी राय मानो तो ईं'रो कालो मूंडो कर'र ईंनै देस निकालो देद्यो।
भीड स्यूं अवाज आई, म्हाराज ईं'रो फकत मूंडो'ई सगलै नै'ई कालो कर'र आपणऐ समाज स्यूं बारै का'ड द्यो।
मंत्री माणक कोचरै नै कांईं सजा देवां? मोर राजा भोलू कमेड़ै नै पूछ्यो।
मंत्री जनता री मांग पर जनता रो परतिनिधि होवै म्हाराज। जनता रो परतिनिधि जद जनता पर झूटो इलजाम लगाण लागज्यै तो जनता रो धणीधोरी कुण होसी म्हाराज।
ढीक है भोलू भाई, तूं बिलकुल साची कै'वै। फेर मोर राजा कालू कागलै नै पूछ्यो, च्अरै ओ कालिया, तेरी के होसी ?च्म्हैं थारो निमक खायो है म्हाराज।

च्निमक रा बच्चा, अब तूं मेरै कनै आ। पै'ली तो म्हैं तने चोखी तरिंयां कालो कर द्यूं।
कालू कागलो डरतो-डरतो राजा कनै पुं' च्यो। मोर राजा फटाक्दणीसी'क बीं माथै कालो रंग ढोल दियो। कागलो सफा कालो होग्यो। फेर मोर राजा कालू कागलै नै ललकार'र कैह्यो, च्जा अब दफा होज्या म्हारी रियासत स्यूं.अर कागलो गांवां कानीं आग्यो।
भोलू कमेड़ै नै दरबार रो नूंवो मंत्री बणा'र मोर राजा सिमली कमेड़ी री नाड़ रै इलाज वास्तै अमरीका स्यूं डाकधर बुलाणैं रो बिच्यार कर्यो।

थोड़सीक ताल पछै सभा पूरी होय्गी। सभा रै मांय साचो न्या देख'र पंछियां मिल'र नारा लगाया।
मोर राजा
जिन्दाबाद
भोलू कमेड़ा
जिन्दाबाद
कालू कागलो
मुड़दाबाद
माणक कोचरियो मुड़दाबाद
सिमली कमेड़ी री नाड़ रौ दस दिनां तांईं इलाज चाल्यो। बा ठीक बी होय्गी। पण बी'री नाड़ माथै तलवार रो निसा आपां आज बी देख सकां। ई घटना रै पछै कागलै अर कमेड़ी मांय आज बी दुसमणी चालरी है।

2.घमण्डण मछली

एक तलाव मांय घणी सारी मछल्यां रैह्वंती। उण मांय एक मछणी अपणै-आपनै भौत ही स्याणी समझती। बा आपरी सहेल्यां मछल्यां स्यूं रोजिना बढ़ चढ़'र बांता करती। इण कारण तलाव री सगली मछलयां बी'नै बुद्धिमान मछी कैह्वंती। बुद्धइमान मछली नै आपीर बुद्धि माथै घणौ घमण्ड हो।
उणी तलाव मांय डडरू नाम रो एक डेडर बी रैह्वन्तो हो। बुद्धिमान तो डडरू बी कम नीं हो, पण उणनै आपरी बुद्धइमानी रो कदै घण्मड नीं कर्यो।
एक दिन सिंझ्या रै टैम कीं मछउआरै उण तलाव रै कनै आया। वणां मांय एक मछुआरै आपरै भायलै स्यूं कै'यौ- यार, इण तलाम मांय तो भौत मछल्यां है अर पाणी बी कम है। मछल्यां खटा-खट जाल मांय आ ज्यासी।
दूजो मछुआरौ बोल्यो-म्हूं...काल दीनूगै अठिनै आवणौ पक्को। अर बातां करता-करता मछुआरा आपरै गांव कानीं जावण लागग्या। वणांरै जांवतांई तलाव री मछल्यां चिन्ता करण लागगी।
बुद्धइमान मछली बोली-डरण की कांई बात है। जरणौ कायरां रो काम है। मेरी समझ मांय ऐ मछुआरा अठिनै नीं आवैला। अर जे आग्या तो म्हूं आपरी स्याणप स्यू थानै बचा ले स्यूं।
तलाव री सगली मछल्यां बुद्धिमान मछली री बात मानली पण डडरू डेडर रै बीं मछली री बात गलै नीं उतरी बो बोल्यो-बात डरण री नीं है। बात है आपणै बचाव री। आपानै आपणी रक्स्या खुद'ई करणी पड़सी। संकट आवणै स्यूं पै'लां उणरौ उपाय सोचणौ जरूरी है। मेरी मानो तो आपां सगला नैं दूजै तलाव मांय चल्यो जाणओ चईजै या फरै ईं तलाव रै'ई दूजै किनारै माथै चालां।
बुद्धिमान मछी जोर स्यूं हांसी-ही...ही...ही...तूं तो भौत'ई डरपोक है रै डडरू। तनै डर लागै तो तूं चल्यो जा दूजै तलाव मांय। म्है तो अठिनै'ई रै'स्यां अर ईणीं किनार माथै रैह्स्यां।
डडरू डेडर बुद्धिमान मछली स्यूं बोल्यो-भैन जी, म्हू मानूं कै आप बुद्धिमान हो। पण जे का'ल मछुआरा आग्या अर वणां आपांनै जाल मांय फंसा लिया फेर ? फेर कांई करस्यां।
बुद्धिमान मछी घण्मड स्यूं बोली-डडरू तूं भोलो'ई नीं है, मनैं तो सफा गै'लो लागै। म्हानैं समझाणैं री जूर्त नीं है। तनै जावमओं है तो जा।

बुद्धिमान मछली री घमण्ड भी बांतां सुण'र डडरु उछलतो-कूदतो दूजै तलाव कानीं चल्यो गयो।
दूजै दिन दूनगूै-दीनूगै मछुआरा उण तलाव रै माथै जाल ले'र आग्या। वणां तलाव मांय जाल फैंक्यो। सगली मछल्यां जाल मांय फंसगी। बुद्धिमान मछी बी'ई जाल मांय फंस्योड़ी ताफड़ा तोड़नै लाग री ही। सगली मछल्यां जाल स्यूं निकलनै री घणी कोसिस करी, पण जास स्यूं बारै नीं नकिल सकी।

अचाणक'ई मछल्यां देख्यो के घणकरीसो'क से'त माख्यां मछुआरा माथै हमलो कर दियो है। मछुआरा आपरी जान बचावण खातर उछल-कूद करणै लागग्या अर माख्यूं स्यूं तंग आ'र भाज छुट्या।
मछुआरा रै जाणै रै पछै डडरू डेडर मछल्यां रै कनै आयो अर बोल्यौ-चिंत नां करो भैनों। से'त माख्यां मिल'र मछुआरा स्यूं तो पिण्ड छुड़ा दियौ है, अबै रोडू ऊंदरो अर बी'रा संगील-साथी औ जाल काट'र थानै इण कैद स्यू छुटकारो दिरा देसी।
मछल्यां डडरू बात सुणी तो वणां री ज्यान मांय ज्यान आई। थोड़सी'क ताल पछै रोडू ऊंदरो अर बीं'रा भायलां काट'र मछल्यां नै अजादी दिराई।
मछल्यां जाल स्यू अजाद हो'र डडरू नै मोकली-मोकली बधाई दी। बुद्धिमान मछली ओ देख'र सरम स्यूं पाणी-पाणी होय्गी।


3.हरखू री चतराई

जसाणा रियासत रा राज मेघसिंह भौत अधं-बिस्वासी हो। इण कारण चलाक लोग उणांनै ठगता रैह्वन्ता। राजा मेघसिंह की बीं मिनखी री मनघड़न्त बातां माथै झट बिस्वास कर लेवन्ता।
अंधबिस्वास के मांय राजा रा मंत्री जनकसिंघ वणआं स्यूं चार कदम आगै हा। बै उल्टी-सीधी बातां बणा'र राजा री हां मैं हां मिला देवन्ता।
एक दिन राजा मेघशिंह नै पाड़ोसी रियासत रावछर रै राजा तेजसिंह स्यूं मिलण रै वास्तै जावणौ हो। राजा मेघशिंह दरबार स्यूं बारै आया तो मंत्री नै छींक आ'गी। मंत्री कै'यो-च्म्हाराज ठै'रो। छींक रो सुगन सुब नीं होवै।
राजा मेघसिंघ दूजै दिन बिरकाली जावणै री तेवड़ी। राजा रै जाणै स्यूं पै'लांई मंत्री कै'यो-
म्हाराज, थोड़सी'क ताल पै'ली एक काली बिल्ली आपरै सामी स्यूं गई है, इण वास्तै आज बी आपरो जावणो सुंब नीं है।
राजा उण दिन बी नीं गया। इण तरियां कई दिन बीतग्या. एक दिन राजा मेघसिंह चोपड़-पासा रै खेल मांयण इतमां रम ग्या कै सुबै रो खाणो बी नीं खा सख्या। दास-दास्या जीमणै रौ कै'वण सारू घणी बार आया पण राजा खेल रै मांय कीं बेसी'ई मगन हा। खेलतां-खेलतां दिन छिप ग्यो, सिंझ्या घिरयाई। कनै बैछ्यौ मंत्री जनकसिंघ कै'यो- म्हाराज, मनै लागै आप दीनूगै स्यूं जीम्या नीं हो। आपरी से'त वास्तै आ बात ठीक नीं है।
मंत्रीजी, आप देख र्या हो कै आज जीमण रो टेम'ई नीं मिल्यौ। राजा पडूतर दियो।

बात टेम री नीं है म्हाराज। आज आप दीनूगै पै'ली किणरा दरसण कर्या है ?
दीनूगै ? राजा मेघसिंह याद करण लाग्या।
हां म्हराजा।
आज तो मै'ल मांय हरखू धोबी आयो हो सा'त...दीनूगै-दीनूगै बींरी'ई सिकल देखी होवैला। राजा याद कर'र बतायो।
गलती छिंमा करो म्हाराज। मनै लागै कै हरखू धोबी रा दरसण चोखा नीं है।
तो फेर कांई करां मंत्रीजी ? राजा थोड़ी चिन्ता करी।
इण असुब मिनख रो जींवन्तो रैह्वणों आपां री रियासत रै हित मांय नीं है म्हाराज। आगै आप री इच्छ्या। मंत्री कैह्यो।
राजा मेघसिंघ नै मंत्रीजी री आ बात सफा करी लागी। बै मांय-मांय हरखू धोबी नै मोत री सजा देवणै री तेवड़ली।
हरखू धोबी नै राजा दरबार मांय हाजर होवण वास्तै राजा रो आदेस मिल्यौ। हरखू फटाफट पुंच्यो। पु' च्ताईं राजा कै'यौ- हरख, तनै दीनूगै फांसी देस्यां।
राजा रैं मु'डै आ बात सुण'र हरखू रै सरीर मांय सरणाटौ सो निकलग्यो। बो बोल्यौ- पण म्हाराज मेरा कसूर कांई है ?
चूप। राजा माथैमांय त्यौर्यां घाल'र कै'यौ।
राजा रे चुप नै आदेस मान'र हरखू चुप होग्यो। हरखू नै काल कोठडी मांय पु' चा दीयौ। काल कोछडी मैं पड़्यौ-पड्यौ हरखू पै'ली तो घबरायो, फेर बण सोच्यो कै चुप रैवणैं स्यूं अर घबराणै स्यूं सिमस्या रो समाधान नीं होवै। राजा रै हटी सुभाव नै बी हरखू चोखी-तरियां जाणै हो।

सिंझ्या नै राजा मेघसिंघ आपीर रियासत मांय ढिंडोरो पिटवा दियौ कै का'ल दस बज्यां हरखू धोबी नै फांसी दी जावैली।
हरखू पीर रात सोचतो रै'यो अर एक मिन्ट बी नीं सो सक्यो। दूजै दिन सूरज उगतांईं मै'ल मांय मेलो सो लागग्यो। जनता स्यूं मै'ल खचाखच भरीजग्यो अर सगलां रै मुं'न्डै एक'ई बात ही कै इण सीधै सुभाव रै बिचारै हरखू धोबी नै मोत री सजा क्यूं ?
दस बज्यां हरखू नै फांसी देवणी ही। दस बजणै मांय बीस मिन्टा बाकी हा। हरखू नै जल्लाद मोत रै घाट माथै ले ग्यो। सगलै लोगां री निजर हरखू रै टिक्योड़ी हो। हरखू रा दोनूं हाथ जेवडी स्यूं कस'र बांध्योडा हा, अर बी'रो मुन्डो कालै कपड़ै स्यूं ढक्यौडो हो। हरखू चुपचाप खड्यो कै ठा कांई सोचै।
दस बजणै मैं अब दस मिन्ट बाकी हा। जल्लाद नै राजा आदेस दियो के हरखू रै मून्डे स्यूं कपड़ो हटा'र बींरा हाथ खोल दिया जावै।

आदेस री पालना करी गई। फेर राजा मेघसिंह हरखू रै कना जा'र बी'री आखरी इच्छ्या पूछी।
हरखू हाथ जोड'र कैयो- खमाघणी अन्नदाता म्हारी कांईं इच्छया है। म्हूं मोत स्यूं दर नीं डरूं। थे म्हारा राजा हो अर राजा परजा रा मायत होवै म्हाराज। मायतां नै आपरी औलाद री गलत्यां री सजा देवणैं पो पूरो अधिकार है। म्हूं बस एक ई बात बूझूं कै म्हारो कसूर कांई है बतावमै री करिपा करो।
तेरा दरसण चखा नीं है हरखू। तूं खोटो मिनख है। का'ल दीनगू म्हूं तेरो मूं देख्यो जीं कारण का'ल सारे दिन म्हानै भोजन नीं नसीब हो सक्यो। राजा खुलासो कर्यो।

हरखू बोल्यौ- म्हाराज, म्हूं आपरी मे'नत स्यूं कमा'र खाऊं। फेर म्हूं खोटो मिनख कींयां हो सकूं हू। म्हाराज छोटो णूं अर बडी बात है कै मिनख कदै खोटो नीं होवै। मिनख तो लाखीणों होवै म्हाराज। मिनख जूण तो केठा कित्ता चोखा करम करणै रै पछै मिलै।
हां और बलो। आज धाप'र बोल ले। मनैं लागै कै तूं आपरी आखरी इच्छ्या मांय भासण झाड'र आपरै पेट रौ आफरौ उतारणों चावै। दस बजण मांय अब दो मिन्ट बाकी है। राजा आपरी हाथघड़ी मांय टेम देखतां थकां कै'यौ।
हरखू निडरता स्यूं बोल्यौ- म्हाराज, आप मिनख रै दरसण नै जे चोखो माड़ो समझो तो का'ल दीनूगै म्हूंआपरा दरसण कर्या। अर आज दीनूगै बी आपरा दरसण कर्या। इण वास्तै थे सोचौ'कै आज म्हूं मोत री सजा भुगतण नै आपरै सामीं खड्यौ हूं। तो आपरा दरसण माड़ां कींयां बतां सकूं म्हाराज।
हरखू री बातां सुण'र राजा मेघसिंह री आंख्या खुलगी। राजा सोचौ'कै हरखू साची कै'वै। राजा मेघसिंह हरखू नै गलै लगा लियो। मै'ल मांय आयोड़ी जनता अचाणचकै'ई इण बदलाव नै देख'र सैंतरी-बैंतरी रैह्गी।
राजा मेघसिंह जनता रै सामणैं मंत्री जनकसिंघ री जगां हरखू नै आपरै दरबार रो मंत्री बणा'र एलान कर्यो-आज रै पछै बात रो पूरो नितरा निकाल्यां बिनां कीं बी मिनख नै सजा नीं दी जावैली। अर एक और खास बात आ है कै आज स्यूं आपणी रिसासत मांय फांसी री सजा बंद करणै रो मेरी तरफ स्यूं आदेस है। आयोड़ी जनता ओ एलान सुण'र राजा मेघसिंघ री जै-जैकार करी।


4.स्यांती

स्यांती पन्द्र बरसां री होगी। बाबूलाल जी री लाडली बेटी स्यांती। आपरी मां दांई स्यांती घणी रूपाली अर काम मांय चातर ही। स्यांती री आदत है कै बा किणी न किणी टाबर नै गोद्यां मांय या फेर पधेड़ियां जरूर चढायां राखै। टाबरां नै गोद्यां चढायां-चढायां बी री कमर रेडी हो ज्यांवती पण बा कणाई मुंडै स्यूं नीं कैंवती कै म्हूं टाबरां नै कोनीं रमाऊं। घणै धीरज आली ही स्यांती।
स्यांती जद इण संसार मांय आई तो और टाबरां दांईं ना रोई अर ना कूकी। इणी कारण सुगणी दाई बींरो सुभाव देखर स्यांती नांव काढ दीयौ। अर पछै सगला बीं तिणकलै सी न्हानकी नै स्यांती कैङवण लागग्या। स्यांती नै आई नै घण्टौ भर ई नीं होयौ के बींरी मा सोनकी आपरी आंख्यां मींचली। स्यांती उण घड़ी बी कोनीं रोई। कणङई कैङयौ कै सोनकी रै खून री कमी ही। कोई बोल्यौ-टींगरी आंवतांङ ईं आपरी मा नै खायगी। तो कोई कैङवै सांस इत्ताई लिख्यौड़ा हा। कोई कीं कैङवै तो कोई कीं। जित्ता मुंडी बित्ती बातां।

सोनकी मांचै री ठोड़ अब आंगणै रै बिचालै सूती है। भौत गैङरी नींद मांय। उण नै अब कोई नीं जगा सकै। लाल चूनड़ी स्यूं ढक्योड़ी सोनकी ईंयां लागैई जाणै अब उठी अर अब उठी। जाणै उठङर आपरी स्यांती नै दूध चुंघासी।

घर मांय सरणाटौ पसरग्यौ। सगला चुप हा। सगला सोनकी री बिदाई सारु चुपचाप काम लागर्या हा। रोवौ-कूकौ करणआली स्यांती बी चुप ही। बा चुपचाप कदैङई इन्नै-बिन्नै देखै तो कदैङई आपरा नांन्हां-नान्हां हाथ-पगलियां नै इन्नै-बिन्नै मारती होलै-होलै मुलकै।

स्यांती री मा सोनकी देखतां ई देखतां पांच तत्वां मांय बंटगी। लोग नहा-धोयङर घरां आग्या अर आप-आप रै काम लागग्या। बारवों पूरो होंवतां ई बाबूलाल रौ ब्यांव मंडग्यौ। ब्यांव रै दो बरस पछै बाबूलाल री दूजी लुगाई रै लगोलग तीन छोर्यां अर तीन छोर होग्या। आं छै वां नै रमाणै-खुवाणै अर नुह्वावणै-धुवावणै री सगली जिम्मेदारी स्यांती री ही। स्यांती इत्ती स्याणी कै आंख रौ इसारौ समझै। घर मांय चा-रोटी बणावणी। खीचड़ी-दलियो रा घणौ। झाड़ा-पूंछी करणौ। गाभा धोवणां। भुवारी देवणी। यानीं सगला काम सटा-सट करती। आपरी इण तीन बैनां अनै नूंईं मा रै सिर मांय रोल काढणै रौ काम इत्ती फुरती अर सफाई स्यूं करती कै देखणआलौ देखतोई रै ज्यांवतौ। आस-पाड़ौसी घणीई बार कै देंवतां कै बाबूलाल री बडगर स्यांतली काम नै पाणी दांईं पी ज्यावै।

पन्द्रा बरसां मांय स्यांनी नै बींरी नूईं मां जकी लूखी बासी चीज खुवाई, बाई खाई। जिस्यौ फाट्यौ-पुराणौ पैरण नै दीयौ, बिस्यौई पैर्यौ। बण कदैङई माथै मांय सल घालङर बापूजी नै नीं कैङयौ कै नूंई मां म्हारै साथै दुभांत राखै। बा चोखी तरियां जाणै ही कै घर मायं बापूजी री जाबक ई नीं चालै। घर मांय तो नूंई मां री हील चल्लै। इण कारण स्यांती चुप ई रैङवती।

पन्द्रा बरसां री इण चुप्पी रै पछै स्यांत रौ ब्यांव होयौ। स्यांती पी रै स्यूं व्हीर होई। व्हीर होंवतां टैम बी बा नीं रोई। गांव री कई गीतेरण्यां कैवण लागी-कै स्यांती, रोवण रौ थोड़सोक सुगन तो कर दे ए ! पण बा मुलकती रैङई अर मुलकती-मुलकती बा आपरै धणी साथै व्हीर होगी।

सासरै मांय हा एक सास जू अर एक देवर। सासू आपरी बीनणीं रा अर देवर आपरी भावज रा इत्ता लाड-कोड कर्या कै स्यांती सासरै मांय मेंहदी दांईं रचगी। घर मांय पाड़ौस्यां रा टाबरां रौ बी जमघट लाग ज्यांवतौ। बा टाबरां मांय भौत ई धुल-मिलगी। कोई बीरै मौङडै चढ ज्यावै...कोई बीं कनूं गोली मांगै। कोई छोरी आपरी गुड्डी खातर पराक बणावावै तो कोई छोरौ मोटी री जीप बणवावै।..किन्नैई बा माटी रौ घर बणायङर बिलमावै तो कोी बीं स्यूं गाणौ सीखै। स्यांती टाबरां माय रैवती-रैवती इत्ती रण-मिलगी के टाबर बीं बिनां अर बा टाबरां बिनां एक मिटंनी रै सकै। सिंझ्या नै घणी ई बार कई टाबर बछै खेलता-खेलता ई सो ज्यांवता। अर कोई टाबर जे आपरै घरां नीं पूगतौ या किन्नैई नी लाधतो बौ सीधौ स्यांती नै आयङर पूछतौ।

आज स्यांती नै सासरै आई नै पांच बरस होग्या। आज बीं रै देवर रौ ब्यांव हो। गाजै-बाजै रै साथै ब्यांव होयौ। घर मांय देराणी आयगी। सगलां रै खुसी रा घुघरिया बंधग्या। सासू अर देराणी-जिठाणी रौ परेम देखङर गली री लुगायां बां री बडाई करती।

खुसी मांय टैम कद नीकलै। मिनख नै पतौङई नी चालै। बस...इणी खुसी-खुसी मायं स्यांती रै ब्याङव रा छः बरस बीतग्या। अर इणी बरस छोकी बींनणीं रै घर मांय फूल सो न्हानियौ आयो। पच्चीस बरस पछै इण घर मांय थाली बाजी। इणी कारण लाडू बी खूब बंट्या। घर मांय खुसी री बिरखा सी होयगी।

एक दिन स्यांती आपरै देवर रै न्हानियै नैं रमावै ही। बो इत्तै जोर स्यूं बोकरड़ा पाड़ै हो कै पूरै घरनै उठा लियौ। स्यांती कदैङई बींनै पाणी पावै, कदैङई पुचकारै, कदैङई लोरी सुणावै अर कदैङई पालणियै मायं सुवायङर हिंडा देवै पण बौ क्यांनै चुप हुवै...रोवै इत्तै जोर स्यूं जाणै बींनै कोई टांटियौ खाग्यौ हुवै। पण स्यांती छोरै रै रोवणै स्यूं आखती नीं होई बींनै चुप कराणै री कोसिस करती ई रै ई। अचाणचक भाजती-भाजती बींरी देराणी आई अर छोरै नै स्यांती री गोदी स्यूं खोसङर आपरी गोद्यां मांय लेंवतां थकां बोली-च्भाभीजी, ईयां कियां चुप कराऔ न्हानियै नै..न्हानियौ पाणी पायां चुप को रैङवै नीं।छ अर पछै नानियै रै मुंङडै बाबो देंवती बोली-च्थानै कांई ठाह कै टाबर चुप कियां हुवै। टाबर हुवै तो जाणौ नीं।छ

देराणी रा बोल स्यांती रै कालजै नै आग दांईं बालग्या। पण बा आपरी आदत रै मुजब खाली मुलकङर टालगी।

उण रात घर रा सगला सोयग्या। पूरौ गांव नींद मांय हो। चिड़ी-गालका अर रूंख जिनावर तांईं सूत्या हा। पण स्यांती री नींद बींरी आंख्या स्यूं हजारां कोस दूर ही। बा आखी रात आभै मांय तारा जोंवती रैङई। अर उणी दिन स्यांती रै मन मांय टाबर खातर इच्छाय जागी। बा सोचण लागी-कै बींरै बी एक नान्होसौक गीगलो आवै। बौ बींनै मा-मा कैङवै। अर बा बींनै रमावै-लडावै, नुहावै-धुवावै अर दूध चुंधावै। स्यांती मा बणन खातर पितरां रै परसाद बोलती रैङई माता रौ रातिजोगौ, बाबै रै चांदी रौ छत्तर अर पितराणी दादी रै तीवल बोलती-बोलती हाथ जोड़ङर माथै लगाया अर पछै इस्सी आंख लागी कै चिड़िया रीं चिंचाट कानां मायं पड्या ई उछी।

देवर रै न्हानियौ होवण स्यूं घर मांय देराणी रा लाड कोड सवाया होग्या। स्यांती तो अब रसोई मांय कुत्तै री टालयोड़ी रोई दांईं एक खानी पड़ी रैङवती। बरतण-भांडा मांजणा, चौका-पौचा करणां अर गाभा धोवणै रौ काम अब देराणी स्यूं छूटङर स्यांती कन्नै आयग्यौ।

एक दिन स्यांती देराणी रै न्हानियै नै पाणी पावै ही। देराणी रसोई स्यूं भाजङर आई। बोली-भाभीजी, आपरा हाथ तो देखौ...छोरै रै माटी लगायङर ई रौभौ ना बिगाड़ौ। थे आपरौ काम करौ। छारौ नैं पाणी हूं पा देसूं। अर जे थानै टाबरां नै पाणी पावमै रौ इत्तौई कोड है तो आपरै क्यूं नीं जामल्यौ।

देराणी रा बोल सुणङर स्यांती एकर तो भरीजगी पण फेर संस्कार आडा आयग्या अर बा मुलकङर बरतण मांजण लागगी।

उणी रात स्यांती रै सिर मायं भौज जोर रौ घोबौ चाल्यौ तो बा छात पर दरी बिछायङर आडी होयगी। बीं री सासू अर देराणी साल मांय बैठी-बैठी बातां करै ही। बीनैं बा री बातां साफ-साफ सुणीजै ही।

हैं ओ मा सा, थानै ध्यान है के, कै स्यांती भाभी रा जे कोई दिनुगै-दिनगै दरसण कर लेवै तो बीं रो पूरौ दिन भौत ई माड़ौ नीकलै।
केठा भाई निकलतो होसी।
मा सा ! आपणै मोहल्लै री सगली लुगायां कै वै कै बांझडी रा तो दरसण ई माड़ा।
चोखा नीं होवै तो आपां किसै कुवै मांय पड़ां। आपणै तो आ राड बांझड़ी घर मांय ही बलै।

हूणी नै नमस्कार करां। किणी रा चोखा-माड़ा दिन किन्नैई कैर नीं आवै। हांसती खेलती स्यांती अब गुमसुम रैङवण लागगी। मनड़ै री बात आपरै आदमी नै कैवणी तो बण कत्तई ठीक नीं समझी। बीं रौ आदमीत ोखाली घाणी आलै बलद दांईं हो।

घर मांय टाबरां रौ जकौ जमघट रैङवतौ बौ घटतौ-घटतौ जाबक घटग्यौ। एकाधौ टाबर जे घरां आई ज्यांवतौ तो बौ न्हानियै नै एक मिंट खिलायङर फुर्र हो ज्यांवतो। अर धीरै-धीरै एकाधौ टाबर आवणौ बी बंद होग्यौ।

एक दिन बातां-बातां मांय तानां देवती देराणी बोली
-
भाभीजी, दुराजै कानी खड़कौ होवै जद टाबरां नै नां उडीक्या करो। बौ टेम टिपग्यौ जद थानै टाबर आपीर मा सूं बेसी मानता। अब नां तो थारै कन्नै टाबर आवणौ चावै अर नां ही टाबर रां मा-बाप आपरौ टाबर थारै कन्नै भेजङर राजी हुवै। बांनै डर है कै थे थारै टाबर रै चक्कर मांय बारै टाबरां रै टूणो-टमकौ बी कर सकौ।

स्यांती थाली मांजती-मांजती आपरै टाबर खातर सोचती सोचती देराणी रा मैङणा सुणै ही। बींरी सासू बोली-बींनणी, गिलास ल्याई।
-ल्यौ मा सा. स्यांती बोली।
-देख, रांड रौ राम नीकल्यौ, हूं गिलास मांगू अर थाली झलावै।
-थाली नीं चाइजै तो आ ल्यो।
-आकांई मजाक है। म्हूं चमची को मांगूं की। गिलास मांगू, गिलास। तेरौ राम तो को निसरग्यौ नीं।
-ल्यौ मा सा गिलास। स्याती गिलास देंवतां थकां बोली।
-हे राम, बीनई तेरौ होग्यौ कांई ! अब गिलास झलावै अर बौ बी खाली। सिर मांय मारूं के खाली नै ! तेरौ हो्‌गयौ कांईं आजकाल ! जा बाड़ै मांय, भांडा मांज। तैं ल्या दियौ पाणी। हुहडड!
-ल्यौ मा सा, पाणी रौ गिलास। भर्यौड़ो गिलास देंवता थकां छोटकी बींनणीं बोली।
-छोटकी, इण बडगर रै कांईं होयो है आजकाल!
-कांई ठाह मा.सा।आजकाल भाभीजी के ठाह कांईं सोचती रैङवै।
-मन्नै तो लागै जाणै ई रै दिमाक रा पुरजा हालग्या। बींरी सासू बोली।
-हां मा सा लागै तो म्हनै ई है। ईंयां कैंवती-कैंवती छोटकी बींनणीं मुलकण लागगी। इत्तै मांय बाड़ै सूं जोरदार उबाक री अवाज सुणीजी। सासू अर छोटकी बींनणीं बिन्नै टुरगी।
बाड़ै मांय जायङर देख्यौ। बठै स्यांती उलटयां करै ही। मांजणआला बरतण खिंड्या पड़्या हा।
-कित्ता दिन हुग्या ? सासू पूछ्यौ।
-दो मइनां हुग्यां मा सा। पेट ई..स्यांती संकती सी बोली। ठोकी बींनणी अर सासू अचरज सूं एक दूजै रै मुंडै नै देख्यौ।

घर मांय दूसर थाली बाजसी। स्यांती रो पग भारी है। कैयङर सासु मुलकती छोटकी बींनणीं खानी मुड़ी। पण बा मुंडौ मचकोडती आपरै कमरै खानी मुड़गी। स्यांती मुलकती-मुलकती कांसै रो थाल फुरती सूं मांजण लागगी। उणनै लाग्यौ जाणै बा आपरै पेट जायै न्हानियै नै रमावै। उण रै मुंडै री मुलक पूरै घर मांय पसरगी। सासू लाड स्यूं स्यांती रै माथै पर हाथ फेर्यौ। स्यांती गलगली होयङर सासु रै पगां पड़ी। सासू स्यांती नै गलै लगा ली।
घर मांय स्यांती ई स्यांती ही।

 

 
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